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Tue. Feb 4th, 2025

कैट ने अमज़ोन, फ्लिपकार्ट एवं रिलायंस सहित ई फ़ार्मेसी कमानियों के खिलाफ खोला मोर्चा 

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल के साथ आज नई दिल्ली में हुई एक मुलाक़ात में एक कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने उन्हें एक ज्ञापन सौंपते हुए अमज़ोन, फ्लिपकार्ट, रिलायंस, सहित अन्य ई फ़ार्मेसी व्यापार में ड्रग एवं कौसमैटिक्स क़ानून 1940 के प्रावधानों के ख़िलाफ़ दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री करने का मुद्दा ज़ोरदार तरीक़े से उठाकर इन कम्पनियों द्वारा ऑनलाइन व्यापार के ज़रिए दावा व्यापार पर रोक लगाने की माँग की है ।

कैट ने श्री गोयल को दिए अपने ज्ञापन में कहा है की फार्मईज़ी,, मेड लाइफ़, अमज़ोन , फ्लिपकार्ट, रिलायंस के स्वामित्व वाली कम्पनी नेटमैड, 1 एमजी, आदि पर आरोप लगते हुए कहा कि ये 30% -40% छूट के साथ  कीमतों पर परिचालन करके ई-कॉमर्स व्यापार का दुरुपयोग कर रहे हैं और विदेशी निवेष के कारण इन ई-फार्मेसियों को मुफ्त शिपिंग देने में कोई नुकसान नही उठाना पड़ता है जबकि देश भर में लाखों केमिस्ट एवं दवा विक्रेता सरकार के हर क़ानून एवं नियम का पालन करते हुए अपने लिए एवं कर्मचारियों के लिए तथा उनके परिवारों के लिए रोज़ी रोटी कमाते हैं ।

कैट के राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेश सोन्थलिया ने कहा की पूंजी डंपिंग की यह प्रथा उद्योग के निर्वाह और भविष्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकती है क्योंकि ई-फार्मेसियों की अपनी सीमाएं हैं पर उपभोक्ताओं से सीधा संबंध और आपातकालीन परिस्थितियों में दवाओं की किसी भी समय पहुचाने के कार्य सिर्फ एक केमिस्ट की दुकान ही कर सकती है,।

श्री गोयल को एक और ज्ज्ञापन में कैट ने भारतीय ई-कॉमर्स व्यापार को सभी ख़ामियों से मुक्त कराने के लिए एफ़डीआई नीति के प्रेस नोट 2 के स्थान पार एक नया प्रेस नोट जारी करने की मांग दोहराई और कहा क़ी ई कॉमर्स में सभी हितधारकों के लिए एक समान स्तर पर प्रतिस्पर्धी माहौल देने के प्रावधान नए प्रेस नोट में सुनिशचित किए जाएँ ।

सिंहभूम चेम्बर के महासचिव भरत वसानी ने कहा कि ई-फ़ार्मेसी के बढ़ते व्यापार के चलते खुदरा व्यापारियों और वितरकों को भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिसका मुख्य कारण इनके द्वारा अपनाई जा रही कु प्रथाएँ  है जैसे कि पूंजी डंपिंग और गहरे डिस्काउंट तथा लागत से भी क़म मुल्य पर दावा बेचना है

देश भर में जरूरतमंद मरीजों के लिए रिटेल केमिस्ट और डिस्ट्रीब्यूटर्स सहित दवा विक्रेता संपर्क के पहले बिंदु हैं। बड़े विदेशी खिलाड़ियों / निधियों द्वारा प्राप्त वित्तीय समर्थन के चलते इन ई-फार्मेसियों ने अस्थिर मुल्य निर्धारण की प्रथा शुरू की है जिसके कारण  खुदरा विक्रेताओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऑनलाइन माध्यम से दवाओं और दवाओं की बिक्री अवैध है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत कानूनी व्यवस्था, पर्चे दवाओं की होम डिलीवरी की अनुमति नहीं देती है, जिसके लिए “मूल” में एक डॉक्टर के पर्चे की आवश्यकता होती है

जमशेदपुर केमिस्ट असोसिएसन के श्री पंकज छाबड़ा ने कहा कि उपभोक्ता डेटा का उपयोग करके, जो अन्यथा पारंपरिक खिलाड़ियों के लिए उपलब्ध नहीं है, ई-फ़ार्मेसी जैसे कि फार्मेसी, मेडलाइफ़ और 1Mg (प्रशांत टंडन, सिकोइया से निवेश और अब स्लेट टाटा समूह में विलय करने के लिए) रिलायंस का नेटमेड, अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट  ने महीने की शुरुआत में 30% की न्यूनतम छूट दी है और  महीने के अंत में लगभग 40% की छूट उनके लिए दी गई जो महीने के अंत मे खर्च को कम करते है।

कैट के सचिव श्री सुरेश सोन्थलिया ने मांग की है कि अमूमन ई-कॉमर्स  जहां नियमों और नीतियों को बड़े पैमानें पर प्रवाहित किया जा रहा है, वहां अब  विदेशी निवेश वाली कंपनियों द्वारा कब्जा करने और एकाधिकार करने का लक्ष्य रखा जा रहा है। देश भर के लाखों केमिस्ट और दवा व्यापारी खतरे को रोकने के लिए सरकार के तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते है।

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