कट्टर इस्लामी कानूनों के लिए पहचाने जाने वाले सऊदी अरब में क्राउन प्रिंस मोहम्मद-बिन-सलमान की पहल पर महिलाओं को कई अधिकार दिए गए हैं। इसी कड़ी में अब देश की महिलाएं सेना में भी शामिल हो सकती हैं। दो साल तक चले विचार विमर्श के बाद सऊदी रक्षा मंत्रालय ने थलसेना, वायुसेना और नौसेना में महिलाओं को शामिल होने की मंजूरी दे दी है। इसे एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय ने थल, वायु और नौसेना में नियुक्ति के लिए उनसे मांगे गए आवेदन
अरब न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में महिलाओं को मेडिकल सेवा और शाही रणनीतिक मिसाइल फोर्स में भी शामिल होने की अनुमति दी है।
प्रारंभ में महिलाओं को चार पदों पर भर्ती के लिए आवेदन की मंजूरी मिली है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन-2030 के तहत सऊदी अरब की महिलाएं अब सैनिक, लांस नायक, नायक, सार्जेंट और स्टाफ सार्जेंट के पद के लिए आवेदन कर सकेंगी। आवेदन के लिए महिला-पुरुष एकीकृत पोर्टल भी रविवार से शुरू हो चुका है।
सऊदी रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि करते हुए 21 से 40 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं सै आवेदन मांगा है। यह भी साफ कर दिया गया है कि फिलहाल, सिर्फ शहरों में इनकी तैनाती होगी और अभी इन्हें जंग के मैदान से दूर रखा जाएगा।
कई शर्तें भी, 155 सेमी ऊंचाई जरूरी
सेना में शामिल होने के लिए महिलाओं का 155 सेमी ऊंचा होना अनिवार्य होगा। इसके लिए साफ पृष्ठभूमि, चिकित्सकीय तौर पर फिट और प्रवेश परीक्षा में पास होना जरूरी होगा। जबकि ऐसे नागरिक जिन्होंने गैर-सऊदी से विवाह कर लिया है वे अभ्यर्थी इसके लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे। महिलाओं क कम से कम हाईस्कूल पास होना जरूरी होगा। आपराधिक रिकॉर्ड वाली महिलाएं आवेदन नहीं कर पाएंगी।
यह एक क्रांतिकारी फैसला
अरब न्यूज से बातचीत में कई महिलाओं ने प्रिंस सलमान और सेना के इस फैसले की तारीफ की। ऑपरेटिंग सिस्टम विशेषज्ञ हलाह अल यानबावी ने कहा, मेरे हिसाब से यह बहुत अहम फैसला है। हमारे समाज की सोच बदलने के लिए ऐसे ही कुछ और फैसले जरूरी हैं। आईटी एक्सपर्ट रहमा अल कायरी ने कहा, हमने पहले कभी महिलाओं को जंग के मैदान में भेजने की बात तक नहीं सुनी। यह एक क्रांतिकारी फैसला है।
तीन साल में तीन अधिकार
सऊदी अरब में राजकुमार सलमान की अगुआई में 2018 के बाद से 2020 तक महिलाओं को क्रांतिकारी ढंग से तीन अधिकार मिले हैं। इनमें सबसे पहले जून-2018 में माहिलाओं को कार चलाने का लाइसेंस देने को मंजूरी मिली। इसके बाद उन्हें बिना किसी पारिवारिक पुरुष के अकेले यात्रा की अनुमति मिली। यही नहीं उन्हें स्टेडियम में अकेले फुटबॉल मैच देखने और थिएटर जाने की भी अनुमति मिली।