चांडिल समय बदल गया,राजनीति बदल गई,सत्ता बदली,प्रतिनिधि बदल गए,नही बदली तो ईचागढ़ विधान सभा की कुव्यवस्था और दुर्दशा,इन पांच वर्षो में लोगो को उम्मीद जगी थी की जनप्रतिनिधि बदलेंगे तो समस्याओं से निजात मिलेगी,उनके उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त होंगा लेकिन इन तमाम दावों पर विराम चिन्ह लग गया.आज भी ईचागढ़ विधान सभा कई ऐसे क्षेत्र है , लोग ये नही जानते की संसद कैसे है और जानेंगे भी कैसे संसद संजय सेठ महोदय केवल क्षेत्र में जब भी आए चाटुकारों की फौज के साथ तूफानी दौरा कर लौट गए. आज भी लोग मूल भूत समस्याओं से जद्दोजहद कर रहे है . विस्थापीतो को सिर्फ आश्वासन ही पल्ले आया . न तो ईचागढ़ की तकदीर बदली न ही तस्वीर .अब फिर वही मुकाम पर लोग पहुंच गए चुनाव आ गया फिर से नेतागण आयेंगे लोक लुभावन नारे देंगे, वादे करेंगे.इन पांच वर्षो में ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र में लोग आज भी संसद के चेहरे का दीदार करने के लिए तरसते रह गए.कई क्षेत्रों में को लोगो को पता ही नही की संसद चुनाव जीतने के बाद उनके इलाके में कभी आए भी. फिर वही वादे होंगे फिर जनता ठगी जायेगी , लेकिन जनता को ये तय करना है की ईचागढ़ की तस्वीर और तकदीर कैसी होंगी ?