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कृषि बाजार उत्पादन समिति की मूलभूत समस्याओं का निराकरण करने की बजाए मुद्दे को भटकाने का प्रयास कर रहे हैं चैंबर नामधारी संगठन – कमल किशोर अग्रवाल एवं संदीप मुरारका

Sandeep murarka

जमशेदपुर, 29अप्रैल। आजकल व्यावसायिक संगठनों को दो प्रतिशत मंडी शुल्क के विरोध के रुप में फोटोसेशन हेतु एक नया मुद्दा मिल गया है. कभी काला बिल्ला लगा कर, तो कभी ज्ञापन, कभी गले में पोस्टर चस्पा कर यूं राजनीति की जा रही है, मानो व्यावसायिक संगठन ना होकर विपक्षी पार्टी की भूमिका अदा कर रहे हों. व्यवसायी नेताद्वय कमल किशोर अग्रवाल एवं संदीप मुरारका ने बयान जारी करते हुए कहा कि मंडी यानी कृषि बाजार उत्पादन समिति की मूलभूत समस्याओं का निराकरण करने की बजाए मुद्दे को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है. कृषि बाजार उत्पादन समिति जमशेदपुर में पूर्व में वसूला गया शुल्क का एक बड़ा हिस्सा आज भी उपयोग के लिए प्रस्ताव का इंतजार कर रहा है. मंडी शुल्क की संचित राशि के रुप में 46,50,57,984/– छियालिस करोड़ पचास लाख संतावन हजार नौ सौ चौरासी रुपए उपलब्ध हैं, जिस रकम से मंडी की तस्वीर बदली जा सकती है. बाजार समिति का सौंदर्यीकरण, शौचालय का निर्माण, पेयजल की व्यवस्था, बागवानी, दुकानों व गोदामों के मरम्मतीकरण, नई पार्किंग व कामगारों के लिए आश्रयस्थली के निर्माण के लिए यह राशि काफी है. किंतु मंडी के विकास की योजना बनाने एवं उसे पारित करवाने की बजाय मंडी के सीधे सादे व्यापारियों को गुमराह करने का काम चैंबर नामधारी संगठन के लोग कर रहे हैं. हमें समझना होगा कि यह कोई टैक्स नहीं है बल्कि एक प्रकार का रख रखाव शुल्क है, जो हमें प्राप्त सेवा के बदले प्रदान करना है. जिस प्रकार अपार्टमेंट या कॉलोनी में रहने वाले लोग मेंटेनेंस शुल्क प्रदान करते हैं उसी प्रकार यह शुल्क है. कमल किशोर अग्रवाल एवं संदीप मुरारका ने कहा कि हाँ यदि हमें शुल्क भुगतान के बदले में सेवा नहीं प्राप्त हो रही हो तो सही प्लेटफार्म पर सही विषय को रखा जाए और अपना हक प्राप्त किया जाए. ना कि चैंबर के लोग फोटो खिंचवाने के चक्कर में इधर व्यवसायियों को गुमराह करें, उधर सरकारी अधिकारियों को चिढ़ा दें.

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