आदिवासियों की शोहराई जतरा मेला देता है एकता का संदेश
सदियों से चली आ रही है जतरा मेला की परंपरा
चंदवा : कामता पंचायत के ग्राम दामोदर स्थित एनएच से सटे सरना स्थल पर आदिवासी समुदायों द्वारा शोहराई जतरा मेला का आयोजन किया गया, इसकी शुरुआत गांव के पाहन बिजेंद्र उरांव, ग्राम प्रधान सुले उरांव, जतरा मेला समिति के संरक्षक चंद्रदेव उरांव, सदस्य अमर उरांव, मदन उरांव,
राजु उरांव, जमुना लाल धरभगत,
जतरु उरांव, बिफई उरांव, धर्मेंद्र उरांव, हरिलाल उरांव, सुनील उरांव, बंधन उरांव, राकेश उरांव, मुनेश्वर उरांव, राजेश उरांव, संदीप उरांव, बलराम उरांव,
राजेंद्र उरांव, महंगु उरांव, मकदु उरांव, ललन उरांव, बिरबल उरांव, बाबुलाल उरांव द्वारा सामूहिक रूप से विधिवत पूजा अर्चना से की गई,
अध्यक्षता दिनेश उरांव ने किया संचालन कालेश्वर कुमार कर रहे थे, सांस्कृतिक मंडली में शामिल उमा कुमारी, जोब्या कुलेश्वर उरांव, पूनम उरांव, सुखमनी भगत, सखो भगत, लूलो उरांव, शांति उरांव, अंजलि उरांव, कुलेश्वर उरांव, डेंसवारी उरांव, मुनेसरी उरांव, बंधनी उरांव, बेनसरी उरांव, सूरजमणि ओर्सन, संचारिया उरांव, मंती उरांव, सुखमनी उरांव, मटिया उरांव, मांगिया उरांव, जिरमानी उरांव, पुनिया ओरसन, सुमित्रा उरांव, सुमंती उरांव, दयामणि उरांव, नागमणि उरांव, सालो उरांव, सीता उरांव, बिंदु कुमारी, उमा कुमारी, पूनम कुमारी, अजंती कुमारी, मुनिया उरांव, प्रीति कुमारी, रिशु उरांव, संचरिया उरांव,गौरी उरांव,जामणि उरांव,सुमंती उरांव, रीना उरांव, मनीषा कुमारी, बिनेशरी उरांव, अनीता उरांव द्वारा बहुत ही अच्छी नृत्य पेश किया गया जिसे वहां मौजूद तमाम दर्शकों ने काफी सराहा,
इसमें गांव के युवक युक्तियां और बुजुर्ग सभी पारंपारिक वेशभूषा में नृत्य करते नजर आए,
इस जतरा मेला में आसपास के गांव मुहल्ले के लोग मांदर की थाप पर नृत्य करते शामिल हुए ,
इस जतरा मेला से कई खास परंपराएं और विशेषताएं भी जुड़ी हैं, आदिवासियों की संस्कृति और सभ्यता इनकी परंपराओं में देखने को मिलती है,
मेला में अतिथि के रूप में शामिल प्रमुख नवाहीर उरांव, सामाजिक कार्यकर्ता अयुब खान, समाजसेवी जितेंद्र सिंह, भारत एकता मिशन के जिला अध्यक्ष बिरेन्द्र कुमार, पूर्व पंचायत समिति सदस्य फहमीदा बीवी का स्वागत किया गया,
जतरा मेला में शिरकत कर रहे अतिथियों ने कहा कि इस तरह की कार्यक्रम से लोगों में आपसी मेलजोल बढ़ती है, इसमें विभिन्न क्षेत्रों से आए आदिवासी समाज के युवक – युवतियों को शामिल होने का मौका मिलता है, मेले में जगह – जगह आदिवासी संस्कृ़ति की झलक दिखाई दे रही थी,
सरना स्थल पर लगा यह जतरा मेला की भीड़ और लोगों का उत्साह यह संदेश दे रहा है कि हम एकजुटता के साथ रहें और आदिवासी परंपरा को बनाएं मजबूत रखें इसमें सामाज की भी भलाई है,
इस समाज की एक संस्कृति और परंपरा है इसे आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम है यह जतरा मेला, समाज के पूर्वज भी आजादी के पहले से ही इन परंपराओं का पालन करते रहे हैं,
दिनेश उरांव,रंजन राम, अर्जुन लोहरा, मंटु राम, रमेश गीरी, संजय राम ने मेले में शराहनीय भुमिका निभाया, इस जतरा मेला में जोब्या, दामोदर, अम्बादोहर, चोतरो, अनगड़ा, नगर, चितरपुर, हिसरी, भुसाढ, चटुआग, कामता सहित आसपास के तमाम गांवों से काफी संख्या में आदिवासी समाज और अन्य समुदाय के लोगों ने मेले में भाग लिया।