पोटका हलदीपोखर पूर्वी पंचायत में रक्षाबंधन उत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया रक्षाबंधन उत्सव के उपलक्ष में किए गए इस कार्यक्रम का प्रारंभ भारत माता के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित कर किया गया।
परम पवित्र भगवा ध्वज को रक्षा सूत्र बांधकर सभी स्वयं सेवकों ने रक्षाबंधन उत्सव श्रद्धा पूर्वक मनाएं उपस्थित मुख्य रूप से उपस्थित घनश्याम मंडल मुख्य अतिथि सह जिला कार्यवाह श्री मानिक बारिक अपने संबोधन में कहा कि आज श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले इस रक्षा बंधन पर्व का मूल रक्षा का व्रत लेने में है। उसी के प्रतीक के रूप में धागे के पवित्र सूत्र में परस्पर एक दूसरे को बांधने का विधान है वैदिक मंत्र ॐ सह नाववतु अर्थात हम दोनों परस्पर मिलकर रक्षा करने का यही संदेश है कि समाज के सभी वर्ग गुरु और शिष्य मार्गदर्शक व साधक पुजारी वह भक्त राजा वह प्रजा नारी वह पुरुष तथा यजमान वह पुरोहित सभी आज के दिन परस्पर के भेदभाव को भूलकर धागे के पवित्र सूत्र में एक दूसरे को बांधकर परस्पर रक्षा करके समतायुक्त समरस समाज के विकास में सक्रिय भूमिका निभाये शासकों धन कुबेर प्रबुद्ध व प्रज्ञा वाहनों तथा साधारण जनता के बीच के भेदभाव को मिटा कर उनमें एक दूसरे की सेवा करने रक्षा करने तथा परस्पर कर्तव्य निर्वाह करने के भाव जागृत करें सबसे महत्वपूर्ण घटना देवासुर संग्राम की है जिससे रक्षा सूत्र अथवा रक्षा बंधन के महत्व का ज्ञान होता है सर्वविदित है कि देव दानव युद्ध 12 वर्ष तक चलता रहा देवताओं की पराजय प्रायश्चित प्रतीत हो रही थी देवराज इंद्र युद्ध भूमि से भागने की स्थिति में आ गए थे यह समाचार उनकी पत्नी साक्षी ने देव गुरु बृहस्पति को जाकर सुनाया और अपने पति इंद्र की विजय का उपाय पूछा गुरु बृहस्पति के सुझाव से इंद्रानी ने रक्षा व्रत का आयोजन कर अपने सतीत्व बल के आधार पर देवराज इंद्र के दाहिने हाथ पर शक्ति संपन्न रक्षा सूत्र बांधते हुए कहा आप अपने धर्म पर सदा आंचल रहे इस प्रकार शची इंदिरानी द्वारा प्रदत्त सतीत्व बल आधारित रक्षा कवच के प्रभाव से इंद्र ने रण में विजय पयी वास्तव में यह पर्व सामाजिक समता वह समरसता का पर्व है इसमें समाज के सभी स्त्री-पुरुष बिना किसी वर्ण वर्ग वह भेदभाव की एक दूसरे को रक्षा सूत्र बनते हैं हुए संकल्प लेता है कि मैं अपनी शक्ति वह बल के आधार पर आपकी रक्षा करूंगा प्रत्येक व्यक्ति का अपना-अपना बल है उदाहरणार्थ किसी में बुद्धि बल है तो किसी में ज्ञान बल इसी प्रकार बाहुबल धनबल तपोबल सतीत्व बल आदि सब में अपने-अपने हैं जिसमें जो बल या शक्ति है वह उसी के द्वारा सामने वाले की रक्षा करेगा मूल प्रश्न है कि रक्षाबंधन के संदेश को कैसे समझा जाए रक्षाबंधन पर्व का रक्षा के प्रश्नों से जुड़ा होने से हमें अपनी प्राथमिकताएं पहले ही निश्चित करनी पड़ेगी संकट के बादल सदैव आते जाते रहते हैं हमें संकट के स्वरूप की सही पहचान कर उसे निष्प्रभावी बनाने की अपनी सिद्धांत प्रकट करनी होगी ।
स्नेह के पवित्र धागे में बांध कर परम पवित्र भगवा ध्वज के रूप में अपनी त्यागमयी संस्कृति की पूजा हमें करनी है।शक्ति और सिद्धांत दोनों एक दूसरे की रक्षा करें। रक्षाबंधन के इस पवित्र संदेश को घर-घर में तक पहुंचाना चाहते।
कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री घनश्याम मंडल ,ललित किशोर कुंभकार, जिला धर्म जागरण ।प्रमुख सूरज मंडल, मोना रॉय ,संस्कार कुमार, प्रणाय खंडयाईत ,तापस गोप, बबलू रोहि दास ,शंकर रोहि दास सूरज मोदक रंजन दास रविंद्र नाथ मुंडा, बादल गोप ,गोविंदा साहू ,मिथुन मंडल, साधीन गोप ,गणेश गोप, शिवा नायक, शौर्य यात्रा समिति । मीडिया प्रभारी आदि गण मौजूद थे।
हल्दीपोखर/ रंजन की रिपोर्ट