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महुआडांड़ के दीपाटोली में मनाया गया जश्ने ईद मिलादुन्नबी।

महुआडांड़ के दीपाटोली में मनाया गया जश्ने ईद मिलादुन्नबी।

महुआडांड़ संवाददाता शहजाद आलम की रिपोर्ट

शनिवार की रात महुआडांड़ स्थित ग्राम दीपाटोली में मोहम्मद साहब की पैदाइश के लॉकर जश्ने ईद मिलादुन्नबी का प्रोग्राम रखा गया। जहां झारखंड छत्तीसगढ़ समेत अन्य स्थानों से ओलमा एवं नाथ खान उपस्थित हुए। और मोहम्मद साहब के बढ़ाई बयान की। मौके पर उपस्थित छत्तीसगढ़ सुरजपुर से आए अल्लामा मौलाना अनवर रज़ा के द्वारा कहा गया कि जब अल्लाह तबारक व ताला को अपने महबूब को दुनिया में भेजना था तो फरिश्तों आसमां ने अव्वल आसमां ने दोम और तीसरे आसमान के अंजुमन आका की मिलाद मनाई जा रही थी। हर कोई आमद ए मुस्तफा की खुशी मना रहा था। अल्लाह ने सबसे पहले आका के नूर को पैदा फरमाया। लेकिन आप जानते हैं जो बड़े होते हैं उनकी पैदाइश पहले होती है सारे पैगंबर आदम अलैहिस्सलाम ईसा अलैहिस्सलाम मूसा अलैहिस्सलाम यहिया अलैहिस्सलाम नूह अलैहिस्सलाम जकरिया अलैहिस्सलाम अली सलाम समेत सभी पैगंबर आका सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम से पहले भेजे गए इसलिए पहले भेजे गए क्योंकि दुनिया वालों को बताना मकसद था कि दुनिया में आखरी नबी हजरत मोहम्मद आने वाले हैं। जबकि अल्लाह हम मोहम्मद के नूर को सबसे पैदा फरमाया। सभी ने आका का मिलाद मनाया है मिलाद पढ़ना सुन्नत ए अंबिया है।सभी आसमानी किताबें तौरेत जूबूर इंजिल, में हुजूर की आमद की चर्चा है।और मुस्तफा के तारीफ में ही सारा कुरान उतारा गया है। इसलिए हम सभी को चाहिए की बड़ी ही धूमधाम और खुशी खुशी हुजूर की मिलाद मनाएं। वहीं जामिया नूरिया जियाउल इस्लाम की मौलाना अख्तर रजा ने कहा उन्होंने कुरान की आयत का तफसीर बताते हुए कहा बेशक अल्लाह ने मोमिनों के ऊपर एहसान फरमाया, उनमें अपना रसूल महबूब भेज दिया। जब अल्लाह के रहमतों का नुजूल हो तो खुशियां मनाओ, ऐ महबूब हमने तुझे सारे जहान के लिए रहमत बनाकर भेजा। आज की रात सभी मिलाद है। शबे कद्र से हजार महीनों से अफजल है, शबे कद्र में कुरान उतारा गया, अल्लाह के फरिश्ते का नुजूल हुआ, नबी के सदके हम गुनाहगार उम्मती को मिला। लेकिन लैलतुल मिलाद को नबी मिला। तो लैलतुल कद्र से लैलतुल मिलाद अफजल है।अगर नबी की तशरीफ़ नहीं लाते तो हमें कुरान मिलता ना ईमान मिलता ना लैलतुल कद्र मिलता इसीलिए लैलतुल मिलाद लैलतुल कद्र से अफजल है। इस मौके पर हमें हमें अल्लाह ने हुक्म दिया है कि तुम पर एहसान किया कि अपने महबूब को भेजा तो तुम खूब खूब खुशियां मनाओ और अपने महबूब का जिक्र करो।हाफिज व कारी सरिफूल कादरी के द्वारा हुजूर की एक सलाह को लेकर बहुत ही प्यारी हदीस बयान की गई जिसमें बताया गया की एक यहूदी आलिम आका की वाजो नसीहत सुनकर कैसे कलमा पढ़ कर मुसलमान हो गया और कहा यहां मैं तो आपसे मुनाजरा करने आया था लेकिन आपकी बाजू नसीहत ने मेरी दिल की दुनिया ही बदल दी।

 

छत्तीसगढ़ कुसमी से आए कारी अब्दुल्लाह साहब

सुबहो तैबा में हुई बटता है बाड़ा नूर का,तु है ऐने नूर का तेरा हर घराना नूर का। कारी आजम रिज़्वी छत्तीसगढ़ कुसुमी के द्वारा कुरान की तिलावत की गई साथ ही बहुत खूबसूरत अंदाज में आका ने हम गरीबों से रिस्ता नहीं तोड़ा,उममत को किसी हाल में तन्हा नहीं छोड़ा।उनका मंगता हूं मंगता नहीं होने देंते, मेरे आका मुझे रूसवा नहीं होने देते, बातें करता हूं आती है महक तैबा की,मेरे लहज़े ओ मैला नहीं होने नहीं देते।कारी तजम्मूल हुसैन फैजी गूंज उठी सदाए मरहबा आ गए हुजूर आ गए। जश्ने ईद बारहवीं मना आ गया हुजुर आ गए।बरोजे हश्र शफाअत करेंगे चून चून कर,हर एक गुलाम का चेहरा हुजूर जानते हैं। हाफिज व भी कारी अबरार अत्तारी,गढ़वा रंका के द्वारा वाह क्या जूदो करम है शहे बतहा तेरा, नहीं सुनता ही नहीं मांगने वाला तेरा।वाह क्या बात है इस महीने की,एक रोज हमें बुलाएंगे सरकार करम फरमाएंगे। ख्वाबों में किसी दिन आएंगे सरकार करम फरमाएंगे,करम की एक नजर हम पे खुदारा या रसूल्लाह, नहीं है कोई सहारा या रसूल्लाह।सहारा दो सहारा दो सहारा या रसूल्लाह,मेरी कस्ती को मिल जाए किनारा या रसूल्लाह। समेत आका की शान में कई नाते रसूल बहुत ही खूबसूरत अंदाज में पढ़ा। वहीं मंच का संचालन कर रहे मौलाना सुवेब रज़ा हनफी ने कहा चमक तुझ से पाते हैं सब पाने वाले,मेरा दिल भी चमका दे चमकाने वाले, बरसता नहीं देख कर अबरे रहमत बदो पर भी बरसा दे बरसाने वाले।हाफिज व कारी मोहम्मद अख्तर साहब,गुलाम साबिर छत्तीसगढ़ सुरजपुर के द्वारा भी नाते रसूल पढ़ी गई। अंत में सलातो सलाम पढ़ा गया और दीन दुनिया वह आखिरत के लिए दुआएं की गई। वही आयोजन कमेटी की तरफ से शेरनी का भी इंतजाम किया गया था। मौके पर मौलाना सऊद आलम मिस्बाही, मौलाना मुस्ताक अहमद ज्याई,सदर फहीम अहमद,नाइब सदर सद्दाम उर्फ शेरु, खुर्शीद आलम, समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे।

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