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अक्षय नवमी पर महिलाओं ने की आंवले के वृक्ष की पूजा और फिर प्रसाद खाया

आंवले की पेड़ की पूजा अर्चना करती महिलाएं।

घाटशिला:-

कार्तिकमाह के शुक्ल पक्ष सोमवार को अक्षय नवमी की पूजा श्रद्धा के साथ की गई। महिलाओं ने आंवले के पेड़ की पूजा की और पेड़ के नीचे खाना बनाकर खाया। शहर के मऊभंडार शिव मंदिर एवं प्रखंड परिसर स्थित शिव सहित कई मंदिरों के पास श्रद्धा के साथ अक्षय नवमी की पूजा की गई। आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और खाना खाने से कष्ट दूर हो जाते हैं। अक्षय नवमी का शास्त्रों में वही महत्व बताया गया है, जो वैशाख मास की तृतीया का है। शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य का कार्य कभी समाप्त नहीं होता है। इस दिन शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा की जाती है। उसका पुण्य कई-कई जन्म तक प्राप्त होता है।

कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवले के पेड़ की पूजा होने से इसे आंवला नवमी के नाम से भी पुकारते हैं। नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु का आंवले के पेड़ पर वास रहता है। संतान प्राप्ति के लि‍ए इस दिन आंवले के पेड़ की विधि‍ विधान से पूजा व्रत करना फलदायी होता है। इसके अलावा आंवले के पेड़ के नीचे पूजन के बाद प्रसाद ग्रहण करना और आंवला चखना शुभ है।

अक्षयनवमी की पूजा कर क्षेत्र के सुख सौभाग्य्य्य उत्तम स्वास्थ्य की गई कामना

महिलाओं ने अक्षयनवमी के मौके पर आंवला वृक्ष की पूजा अर्चना कर भगवान से सभी घाटशिला अनुमंडल वासियों के सुख सौभाग्य और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की गई। आंवला वृक्ष की पूजा अर्चना करने वाली महिलाओं ने संयुक्त रूप से बताया कि आंवला वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन से निकले अमृत घट को लेकर भागने के क्रम में अमृत बूंदों के धरती पर छिटकने से हुई है। ऐसी मान्यता है कि जहां-जहां अमृत बूंदें गिरी वहां-वहां एक वृक्ष उगा और उसी का नाम आंवला पड़ा।

घाटशिला कमलेश सिंह

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