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जरूरत की खबरें:- हम तक वैक्सीन कैसे पहुंचेगी देखे विस्तार से

अभी 10% वैक्सीन के ही ट्रायल सफल, आने के बाद साइड इफेक्ट की भी संभावना है,इसे दुनिया भर में भेजने के लिए 8 हजार जंबो जेट लगेंगे

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर वैक्सिंग ने 80% भी संक्रमण को कंट्रोल कर लिया तो 20% लोग हर्ड इम्यूनिटी से बच जाएंगे 

WHO का कहना है कि वैक्सीन अगले साल जून तक ही आएगी, पर रूस चीन लॉन्च कर चुके हैं और अमेरिका ने तारीख बता दी है

कोरोनावायरस की वैक्सीन अब जल्द ही आएगी? कब तक आएगी? सबसे पहले कहां आएगी? कैसे मिलेगी? कीमत क्या होगी? और दुनिया में हर एक इंसान तक यह कैसे पहुंचेगी? यह जो सवाल है आज दुनिया के हर इंसान के जेहन में चल रहा है। एक साथ चल रहे हैं और बार-बार चल रहे हैं। दुनिया भर के 20 से ज्यादा फार्मास्युटिकल कंपनियां और सरकारें दिन-रात कोरोनावायरस वैक्सीन बनाने के काम में लगी है। विभाग सीन को लेकर रूलबुक लिख रही है। रोजी से अपडेट भी कर रही है यानी कितनी प्रगति हुई। ‌ लेकिन अभी तक महज 10% वैक्सीन ट्रायल सफल हुए। वही एक अनुमान के मुताबिक यदि वैक्सीन बन जाती है तो दुनिया भर में इसकी सप्लाई के लिए करीब 8 जंबो जेट की जरूरत होगी।

वैक्सिंग आई तो क्या कामयाब होगी

ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (ऐम्स) मे रूमेटोलॉजी डिपार्टमेंट में एचओडी डॉ उमा कुमार कहती है कि कोई भी दक्षिण आने के बाद इनफेक्टिव होगी या नहीं यह अभी बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है क्योंकि सभी कंपनियां अभी जल्दबाजी में वैक्सीन बनाने में जुटी है। दूसरी सबसे आम बात हो गई कि वैक्सीन के बाद जो इम्यूनिटी डिवेलप हो रही है वह पॉजिटिव है कि नहीं यह बात धीरे-धीरे पता चलेगी।

क्या साइड इफेक्ट्स भी संभव है?

संभव है लेकिन वैक्सीन के साइड इफेक्ट हो रहे हैं कि नहीं हो रहे हैं इसे देखने के लिए कुछ समय का इंतजार करना पड़ेगा। एक स्टडी के मुताबिक करुण से बनने वाली एंटीबॉडीज करीब 5 महीने तक ही प्रभावी है। ऐसे में कुछ कहा नहीं जा सकता है वैक्सीन कितनी प्रभावी होगी क्यों दुनिया में वैक्सीन बनाने की होड़ लगी हुई है इसलिए हमें इस के रिजल्ट को देखने के लिए लंबा इंतजार करना होगा।

वैक्सीन का क्या काम?

डॉक्टर उमा कुमारी के मुताबिक वैक्सीन के बहुत सारे टाइप होते हैं। यह लोकल इम्यूनिटी डिवेलप करती है। यह शरीर में दोबारा किसी इंफेक्शन को बढ़ने नहीं देती है। अगर करना कि वैक्सिंग ने 80% भी संक्रमण को कंट्रोल कर दिया तो समझ लीजिए कामयाब है, क्योंकि 20% लोग तो हर्ड इम्यूनिटी से बच जाएंगे।

कैसे बनती है वैक्सीन? 

इंसान के खून में वाइट ब्लड सेल होते हैं जो उनके रोग प्रतिरोधक तंत्र का हिस्सा होते हैं।बिना शरीर को नुकसान पहुंचाए वैक्सीन के जरिए शरीर में बेहद कम मात्रा में वायरस या बैक्टीरिया डाल दिए जाते हैं। जब शरीर का रक्षा तंत्र इस वायरस या बैक्टीरिया को पहचान लेता है तो शरीर किससे लड़ना सीख जाता है। दशकों से वायरस से निपटने के लिए दुनिया भर में रोटी के बने उनमें असली वायरस का ही इस्तेमाल होता आया है।

कितने लोगों को वैक्सिंग देनी होगी?

कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए माना जा रहा है कि 60 से 70 फ़ीसदी लोगों को वैक्सीन देने की जरूरत होगी।

वैक्सीन बनाने में कितने साल लगते हैं?

कोई भी वैक्सीन किसी संक्रामक बीमारी को खत्म करने के लिए बनाई जाती है। हनुमान 1 भाग सिंह को बनाने में करीबन 5 से 10 साल लग जाते हैं। इसके बावजूद इसकी सफलता की कोई गारंटी नहीं होती है।वैक्सिंग से आज तक सिर्फ एक मानव संक्रामक रोग पूरी तरह खत्म हुआ है और वह है स्मॉलपॉक्स लेकिन इसमें करीबन 2 सौ साल लगे। इसके अलावा पोलियो टिटनस खसरा कंठमाला का रोग टीवी के लिए भी वैक्सीन बनाई गई। ‌ यह काफी हद तक सफल भी रही, लेकिन आज भी हम इन बीमारियों के साथ ही जी रहे हैं।डॉक्टर उमा कहती है कि यदि एक डेढ़ साल के अंदर वैक्सीन लॉन्च होती है तो इतने कम समय में फास्ट ट्रैक करके उसकी खामियों को नहीं पकड़ सकते हैं। इसका इंपैक्ट बाद में दिखेगा कई बार वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स से न्यूरोलॉजिकल पैरालिसिस जैसी समस्या भी आती है।

वैक्सीन आने की उम्मीद कब तक

कोरोनावायरस के खिलाफ एक्शन का ट्रायल बड़े पैमाने पर दुनिया भर में चल रहा है इसमें हजारों लोग शामिल है दुनिया भर में अभी तक करीब 20 कंपनियां वैक्सीन ट्रायल में लगी है जिनमें से करीबन 10% ही कामयाबी के रास्ते पर हैं। एक वैक्सीन के निर्माण में अनुमान 5 से 10 साल लग जाते हैं लेकिन अच्छी बात है कि कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए कुछ महीने के अंदर ही बड़ी संख्या में मैन्युफैक्चर्स और इन्वेस्टर्स आगे आ गए हैं उन्होंने अपनी करोड़ों रुपए दांव पर भी लगा रखा है। रूस ने सुपुत्र 15 नाम की वैक्सीन लॉन्च भी कर दी है और अक्टूबर से इसे देश भर में लोगों को लगाना शुरू भी कर दिया जाएगा।चीन ने भी वैक्सीन बनाने का दावा किया है वह इससे पहले अपने सैनिकों को लगाने की बात कर रहा है। लेकिन दुनिया के तमाम देश और स्वास्थ्य संस्थाएं इन दोनों वैक्सीन पर सवाल उठा रही है क्योंकि यह रिकॉर्ड समय में बनाई गई है जो आज तक नहीं हुआ।WHOकी लिस्ट में जिन वैक्सीन का नाम है उनके डायल अभी तीसरे फेज में ही है इनमें से कुछ कंपनियों को कहना है कि वह इस साल के अंत तक वैक्सीन बनाने का काम पूरा कर लेंगे पर डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वैक्सीन का निर्माण अगले साल जून तक ही संभव है।

सबसे पहले किसे दिया जाएगा वैक्सीन

डॉक्टर उमा बताती है कि वैक्सीन यदि आती है तो सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स और साईं रिक्स ग्रुप को दिया जाएगा इसके बाद 20% आबादी को लगाई जाएगी।

दुनिया के देश वैक्सीन खरीदने के लिए क्या कर रहे हैं

दुनिया भर के तमाम देश फार्मा कंपनियों से वैक्सीन लेने के लिए करार कर रहे हैं। इसके अलावा अलग-अलग देश विकसित बनाने और खरीदने के लिए समूह भी बनाने में जुटे हुए हैं।

ब्रिटेन ने छह कंपनियों के साथ 10 करोड़ वैक्सीन डोज के लिए करार किया है वहीं अमेरिकी सरकार ने अगले साल जनवरी तक 30 करोड़ वैक्सीन डोज का बंदोबस्त करने की बात कही है सीडीसी ने फार्मा कंपनियों को 1 नवंबर तक वैक्सीन को लॉन्च करने का समय भी बता दिया है।

गरीब देशों में कैसे पहुंचेगी वैक्सीन?

वैक्सीन खरीदने को लेकर दुनिया के हर देश की स्थिति एक जैसी नहीं है। डब्ल्यूएचओ के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल डा मारिया जिला सीमाओं का कहना है कि हमारे सामने चुनौती है कि जब यह वैक्सीन बने तो सभी देशों के लिए उपलब्ध हो ना कि सिर्फ उन्हें मिले जो ज्यादा पैसे दे हमें वैक्सीन नेशनलिज्म को चेक करना होगा। डब्ल्यूएचओ 1 वैक्सीन टास्क फोर्स बनाने के लिए भी काम कर रहा है इसके लिए उसने महामारी रोकथाम ग्रुप सीईपीआई के साथ काम शुरू किया है। इसके अलावा वैक्सीन रिलायंस ऑफ गवर्नमेंट एंड ऑर्गेनाइजेशन (गावी) के साथ भी बातचीत कर रहा है।अब तक 80 अमीर देशों ने ग्लोबल वैक्सीन प्लान को ज्वाइन किया है । इस प्लान का नाम कोवैक्स है। इसका मकसद इस साल के अंत तक 2 बिलियन डॉलर रकम जुटाना है ताकि दुनिया भर के देशों को करना कि वैक्सीन मुहैया कराई जा सके। हालांकि इसमें अमेरिका नहीं है यह समूह दुनिया के 92 गरीब देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात कर रहे हैं।

क्या होगी वैक्सीन की कीमत?

इसकी कीमत वैक्सीन पर निर्भर करेगी कि वह किस तरह की है और कितने रोज अंडर हुई है फार्मा कंपनी मॉडर्ना को यदि वैक्सीन बेचने की अनुमति मिलती है तो एक डोज को 3 से 4 हजार के बीच भेज सकती है।

दुनिया भर में वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूटर कैसे होंगे

इस काम में डब्ल्यूएचओ यूनिसेफ डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स जैसी संस्थाओं का अहम रोल होगा। उन्हें इसके लिए दुनिया भर में एक कोल्ड चैन बनानी होगी जिसमें कूलर ट्रक 16 फ्री जैसी व्यवस्था भी करनी होगी ताकि वैक्सीन को सही तापमान में सहेज कर रखा जा सके और आसानी से कहीं भी पहुंचाया जा सके सामान्य तौर पर वैक्सी को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस ताप में रखा जाता है।

क्या है कोविड-19 वैक्सिंग का अपटू डेट ?

दुनिया भर में कोविड-19 के लिए 180 वैक्सीन बन रहे हैं। 35 बॉक्स इन क्लिनिकल ट्रायल के स्टेज में है यानी इनके ह्यूमन ट्रायल चल रहे हैं। नॉरमैक्सीन के फेस 3 ट्रेवल्स चल रहे हैं यानी यह सभी वैक्सीन ट्रायल के अंतिम पेज में हैं। इनेन्नो वैक्सीन में ऑक्सफोर्ड एक्स्ट्रा जीने का ब्रिटेन मार्डना गामालेया रूस जान सेन फार्मा कंपनीज अमेरिका सिनोवेक चीन वुहान इंडस्ट्रीज चीन ब्राजील इंस्टिट्यूट चीन कैंसिल जूलॉजिकल चीन और फाइजर अमेरिका के वैक्सिंग शामिल है। 145 वैक्सीन फ्री क्लिनिकल ट्रायल स्टेज में है यानी लैब्स में इनकी टेस्टिंग चल रही है।

कमलेश सिंह

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