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आदिवासी भूमिज- समाज के विवाहिता महिला का पैतृक संपत्ति का दयम अधिकार नहीं है

-जमशेदपुर प्रखंड की बयांबिल पंचायत के कुदादा विकास भवन में आदिवासी भूमिज झारखंड की ओर से भूमिज रीति रिवाज परंपरा में विवाहित महिलाओं को पिता के अचल संपत्ति, जमीन के हक के संबंध में विचार विमर्श हुआ। इस बैठक में विभिन्न आदिवासी समाज जैसे संथाल, हो, समुदाय को भी आमंत्रण किया गया था। बैठक में सारे वक्ताओं ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि कुमारी अवस्था में पिता के संपत्ति पर बराबरी अधिकार है। शादी हो जाने के बाद पति के संपत्ति पर सत अधिकार हो जाता है। किसी महिला का अपने सहदर भाई नहीं रहने से, वैसे स्थिति में उसके नजदीक स्व गोत्र के चाचा या भाई का अधिकार होता है। उस महिला को अपने ससुराल से गांव आने से, गांव, समाज, और उसके चचेरे भाई उसको सम्मानजनक स्वागत एवं व्यवस्था करते हैं। आदिवासी भूमिज समाज के परंपरा एवं प्रथागत कानून के अनुसार सामाजिक व्यवस्था के तहत नियमसी पैतृक संपत्ति का उत्तराधिकारी वंशावली के अनुसार भायादो का अधिकार है। विवाहित महिला का उस संपत्ति पर उत्तराधिकार नहीं है। समाज में विवाहिता महिला का सुरक्षा का व्यवस्था है। आदिवासी भूमिज समाज में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू नहीं होता है। रुढीओ प्रथा से हमारा समाज संचालित होता है। बैठक में पोटका, डुमरिया,जमशेदपुर प्रखंड के आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों ने उपस्थित हुए। बैठक का अध्यक्षता सुदर्शन भूमिज एवं संचालन हरीश भूमिज ने किया। शत्रुघ्न सरदार जयपाल सिंह सरदार, सिद्धेश्वर सरदार, गौरी सरदार, जयंती सरदार, बुद्धेश्वर सरदार, कुमार चंद्र माडीॅ, विभीषण सरदार, श्यामू सरदार, गुमान सरदार, मानिक सरदार, जसजीवन सरदार, कार्तिक सरदार, सुधाकर सरदार, लखींद्र सरदार, लुसकू सामाद आदि उपस्थित रहे।

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