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पोटका के बड़ा सीगदी पर्यावरण चेतना केंद्रों में आदिवासी पारंपरिक स्वशासन क्षमता विकास कार्यशाला का आयोजन

पोटका प्रखंड अंतर्गत बड़ा सीगदी पर्यावरण चेतना केंद्रों में आदिवासी पारंपरिक स्वशासन क्षमता विकास कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण चेतना केंद्र के तत्वाधान में हुई.. आदिवासियों का प्राचीन काल से ही अपना रिती रिवाज. परंपरा. है जो अभी भी आदिवासी समाज के अंदर संचालन हो रहा है. गांव समाज को संचालन के लिए पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था का इस कार्यशाला के माध्यम से रीति रिवाज परंपरा के बारे में उपस्थित लोगों को अपने अपने क्षमता. विकास. के लिए जानकारी दिया गया. जिससे दूसरे लोगों को भी इस पारंपरिक स्वशासन के बारे में जागरूता कर सके. इसमें शिकार. पशुपालन. एवं कृषि पर आधारित जानकारी दिया गया. जैसे-जैसे आदिवासी समाज का विकास होने लगा वैसे ही प्राकृतिक के अनुरूप समाज व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाने का व्यवस्था बनाया गया. और उसके अनुसार गांव बसाया गया. संचालन के लिए नया. प्रधान. मुड़ा. दीगढ़.. सरदार. घट वाल. एवं डाकुआ पाड़ीगिराई आदि का नो माहौल समाज व्यवस्था है. पूजा और उपासना के लिए साल में ऋतु का अनुसार सभी पूजा-पाठ को समय अनुसार किया जाता है. जैसे माघ पूजा. बुरु पूजा. गोट पूजा. करम पूजा. आदि किया जाता है. संस्कार जैसे जन्म. मृत्यु . विवाह. आदि के बारे में बताया गया. आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को कायम रखने के लिए. एवं सभी को निरंतर जारी रखने के लिए बताया गया. आदिवासी रीति रिवाज परंपरा का पहचान आदिवासीयत् का पहचान है. इस कार्यशाला में पर्यावरण चेतना केंद्र के निर्देशक सिद्धेश्वर सरदार. सचिव विभीषण समाद . रोसी रस पर्सन जयपाल सिंह सरदार. सोनाराम भूमि ज. जयंती सरदार. हेमंत सरदार. लक्ष्मी सरदार. गौरी सरदार. चंपा सरदार. आरती सरदार. शुभंकर सिंह. सोमवारी मुंडा. सोनामुनी मुंडा. करुणा सरदार. आदि उपस्थित रहे

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