भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की रफ्तार तेज होती जा रही है. इस बीच अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भारत में फैल रहे दूसरे लहर का ये वायरस एयरबोर्न है, हालांकि उन्होंने ये स्पष्ट किया कि हवाई होने का मतलब यह नहीं है कि वायरस हवा के माध्यम से सांस लेने के दौरान फैल जाएगा.
दरअसल यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर्स ऑफ डिजीज कंट्रोल (CDC) ने शुक्रवार को कोरोनावायरस बीमारी (कोविड -19) के फैलने के संबंध में एक नई सलाह जारी की है और कोविड के मानव शरीर तक पहुंचने के तीन तरीके बताए हैं. CDC ने कहा कि यह वायरस मुख्य रूप से साँस लेने, भाप लेने और छूने से फैलता है. लेकिन नए रिसर्ज के अनुसार पता चला है कि अगर हवा में कोरोना वायरस के महीन बूंद मौजूद हो तो वो आपके सांस लेने के साथ शरीर में प्रवेश कर आपको संक्रमित कर सकता है.
यह रीसर्च ये बताता है कि किसी भी संक्रमित व्यक्ति के तीन से छह फीट के करीब रहना सबसे बड़ा जोखिम है, क्योंकि कोरोना के ये कण बहुत ही छोटे होते हैं और सांस लेने के दौरान सामने वाले को संक्रमित कर सकते हैं. सलाहकार ने बताया कि ये बूंदें सांस लेने, बोलने, गाने, व्यायाम, खांसी, छींकने और संक्रमण फैलाने जैसी गतिविधियों के दौरान साँस छोड़ने से फैलती हैं.
बंद कमरे में संक्रमित होने की संभावना
इसका मतलब है कि किसी बंद कमर या क्षेत्रों में इस बीमारी के एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने की संभावना बढ़ जाती है. CDC ने यह भी बताया कि हमें बड़ी बूंदो से ज्यादा खतरा नहीं है क्योंकि यह कुछ सेकेंडो में हवा में खत्म हो जाते हैं लेकिन छोटे कण जिसका वजन कम होता है वो हवा में तैरते रहते हैं.
मैक्स हेल्थकेयर के डां रोमेल टिकू ने शुक्रवार को एचटी को बताया “एयरबोर्न यानी हवाई का मतलब यह नहीं है कि वायरस हवा में है और आपके सासं सेने से आपको संक्रमित कर देगा. एयरबोर्न का मतलब है कि अगर एक छोटे से कमरे में एक कोविड -19 पॉजिटिव व्यक्ति है और उस कमरे में व्यक्ति को खांसी होती है, तो एयरोसोल 30 मिनट से 1 घंटे तक हवा में मौजूद रह सकता है. “