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मोदी सरकार ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा, गेहूं, चना जैसी सभी रबी फसलों की MSP बढ़ाई जाने नए रेट

By Rajdhani News Sep 22, 2020 #kisaan #modi #msp

नई दिल्लीः

केन्द्र सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की सोमवार को घोषणा कर दी जिसमें 50 रुपये से लेकर 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की गयी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की यहां हुई बैठक में गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 रु, जौ 75 रु, चना 225 रु, मसूर 300 रु, सरसों 225 रु और सूरज मुखी के मूल्य में 112 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि करने का निर्णय लिया गया।

कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने यहां बताया कि केंद्र सरकार ने 2019-20 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया था जिसे अब बढ़ाकर 1975 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

इसी तरह जौ का मूल्य 1575 रु से बढ़ाकर 1600 रु प्रति क्विंटल कर दिया गया है। चना के मूल्य 4875 रु से बढ़ाकर 5100 रु, मसूर के मूल्य 4800 से बढ़ाकर 5100 रु, सरसों के मूल्य 4425 से बढ़ाकर 4650 रु और सूरजमुखी के मूल्य 5215 रु से बढ़ाकर 5327 रु प्रति क्विंटल कर दिये गये हैं। सरकार ने इस बार सबसे अधिक मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 300 रु प्रति क्विंटल तथा चना और सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 225-225 रु प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। तोमर ने बताया कि रबी फसलों की बुवाई से काफी पहले ही सरकार ने इनके न्यूनतम समर्थन मूल्य का फैसला कर लिया है जिससे किसानों को इन फसलों की खेती करने के बारे में निर्णय लेने का पर्याप्त समय मिल सकेगा।

कृषि मंत्री की यह घोषणा ऐसे समय में सामने आई है जब रविवार को संसद में पारित कृषि संबंधी दो विधेयकों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य स्थानों पर किसान समूत विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। संसद ने रविवार को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी। तोमर ने कहा कि सीसीईए ने छह रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि करने को मंजूरी प्रदान की है। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 50 रुपये प्रति कुंटल बढ़ाकर 1,975 रुपये प्रति कुंटल कर दिया गया है। कांग्रेस के कुछ सदस्य इस पर कृषि मंत्री से स्पष्टीकरण चाह रहे थे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी अनुमति नहीं दी।

भ्रम की स्थिति

बता दें कि नए विधेयक में किसानों को अपनी उपज को कहीं पर भी बेचने की छूट दी गई है। इससे मंडियों की अहमियत पर असर पड़ेगा। हालांकि पंजाब-हरियाणा में मंडियों को नेटवर्क अधिक है, लिहाजा इन राज्यों में किसान संगठनों की नाराजगी ज्यादा देखने को मिल रही है। किसानों के सामने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर भी भ्रम की स्थिति है, जिसको लेकर भी विरोध प्रदर्शन जारी है।

विपक्ष का हंगामा

वहीं कृषि बिल को लेकर संसद से सड़क तक संग्राम जारी है। इस महासंग्राम के बीच विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का वक्त मांगा है। विपक्ष की ओर से अपील की जाएगी कि राष्ट्रपति दोनों कृषि बिलों पर अपने हस्ताक्षर न करें और वापस इन्हें राज्यसभा में भेज दें।

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