हंसडीहा :-करमा पर्व का चारों ओर उल्लास छाया रहा। करमा पर्व को लेकर शनिवार को जगह-जगह अखरा में करम डाली स्थापित की गई। जिसके बाद बहनों ने भाईयों की लंबी आयु के लिए पूजा अर्चना की।
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इससे पूर्व महिलाएं चौबीस घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं अखरा में कहीं पाहन तो कहीं पुजारी ने करमा पूजन संपन्न कराया। मौके पर करम-धरम का कथा भी सुनाया गया। पूजन के बाद महिलाएं पूरी रात करम डाल के समीप अखरा में झूमर खेलती नजर। जिससे अखरा गुलजार बना रहा। करमा के गीत पर जहां लोग झूमते नजर आए, वहीं बच्चों में इसके प्रति खासा उत्साह देखने को मिला। स्थानीय युवतियों ने कहा कि करम पर्व का अपना एक अलग महत्व है। पर्व मूल भाई-बहन के अटूट प्रेम व प्राकृतिक संबंध पर केंद्रित है। भाई की सुख-समृद्धि के लिए बहन पूजन करती है। भादो माह की प्राकृतिक छटा इस उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा है। व्रती का कहना होता है आंगन में भादो का कादो भर गया है और यह कादो तभी जमेगा जब आंगना में करम के सामने झूमर खेला जाएगा। पर्व के लिए नौ दिन पूर्व जावा की बुआई की जाती है। इसके लिए नदी से बालू लाकर उसमें सात प्रकार के अन्न जिसमें धान, गेहूं, जौ, उरद, मकई एवं कुरथी शामिल है, उसे बोया जाता है। रविवार की सुबह पर्व का समापन हुआ जिसके बाद लड़कियां पारण करती हैं।