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इस वर्ष 11 और 12 दो दिन मनाया जाएगा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, जानें जन्माष्टमी पर कैसे करें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना

 

इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व 11 एवं ,12 अगस्त को मनाया जाएगा। कान्हा, श्रीकृष्णा, गोपाल, घनश्याम, बाल मुकुन्द, गोपी मनोहर, श्याम, गोविंद, मुरारी, मुरलीधर, मनमोहन, केशव, श्याम, गोपाल जाने कितने सुहाने नामों से पुकारे जाने वाले यह खूबसूरत देव दिल के बेहद करीब लगते हैं। इनकी पूजा का ढंग भी उनकी तरह ही निराला है। इस साल अष्टमी तिथि 11 और 12 अगस्त दो दिन तक रहेगी. इसलिए कुछ जगहों पर मंगलवार तो कहीं बुधवार को जन्माष्टमी मनायी जाएगी। इस बार 11 और 12 अगस्त को लोग जन्माष्टमी मनाएंगे। जन्माष्टमी के पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है। .

जानें क्या है की पूजा की विधि

चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लीजिए,भगवान कृष्ण की मूर्ति चौकी पर एक पात्र में रखिए. और दीपक जलाएं साथ ही धूपबत्ती भी जला लीजिए।भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें कि ‘हे भगवान कृष्ण ! कृपया पधारिए और पूजा ग्रहण कीजिए। श्री कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराएं. फिर गंगाजल से स्नान करने बाद अब श्री कृष्ण को वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार कीजिए। भगवान कृष्ण को दीप दिखाने के बाद धूप भी दिखाएं। फिर अष्टगंध चन्दन या रोली का तिलक लगाएं और साथ ही अक्षत (चावल) भी तिलक भी लगाएं। माखन मिश्री और अन्य भोग सामग्री अर्पण कीजिए और तुलसी का पत्ता विशेष रूप से अर्पण कीजिए साथ ही पीने के लिए गंगाजल रखें।

भगवान श्री कृष्ण का इस प्रकार ध्यान कीजिए
श्री कृष्ण बच्चे के रूप में पीपल के पत्ते पर लेटे हैं‌ उनके शरीर में अनंत ब्रह्माण्ड हैं और वे अंगूठा चूस रहे हैं। इसके साथ ही श्री कृष्ण के नाम का अर्थ सहित बार बार चिंतन कीजिए कृष्ण का अर्थ है आकर्षित करना और कृष्ण का अर्थ है परमानंद या पूर्ण मोक्ष. इस प्रकार कृष्ण का अर्थ है, वह जो परमानंद या पूर्ण मोक्ष की ओर आकर्षित करता है, वही कृष्ण है. इसके बाद विसर्जन के लिए हाथ में फूल और चावल लेकर चौकी पर छोड़ें और कहें : हे भगवान् कृष्ण! पूजा में पधारने के लिए धन्यवाद. कृपया मेरी पूजा और जप ग्रहण कीजिए और पुनः अपने दिव्य धाम को पधारिए.

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