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झारखंड के चार देवी पीठों में होता है 16 दिनों का नवरात्रि अनुष्ठान, हस्तलिखित पुस्तक के अनुसार होती है पूजा

*झारखंड के चार देवी पीठों में होता है 16 दिनों का नवरात्रि अनुष्ठान, हस्तलिखित पुस्तक के अनुसार होती है पूजा*

चंदवा संवाददाता मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट

*रांचीः नवरात्रि पर नौ तिथियों में देवी के नौ रूपों की पूजा-आराधना होती है, लेकिन झारखंड में चार ऐसे देवी पीठ हैं. जहां शारदीय नवरात्र पर 16 दिनों का अनुष्ठान होता है. विशिष्ट परंपराओं, मान्यताओं और ऐतिहासिक कहानियों वाले इन देवी स्थलों पर हर नवरात्र में बड़ी तादाद में श्रद्धालु जाते हैं. इस वर्ष 26 सितंबर को नवरात्रि की शुरुआत हुई है. जिसका समापन आगामी 4 अक्टूबर को होगा. झारखंड के इन चार मंदिरों में सात दिन पूर्व 19 सितंबर को जितिया (जीवित्पुत्रिका व्रत) नामक पर्व के अगले दिन यानी आश्विन कृष्ण पक्ष नवमी को कलश स्थापना के साथ नवरात्र अनुष्ठान प्रारंभ हो गये*.

 

*16 दिनों की नवरात्रि का अनुष्ठान*

*जिन देवी पीठों में 16 दिनों का नवरात्रि अनुष्ठान होता है. इनमें लातेहार जिले के चंदवा स्थित उग्रतारा मंदिर, बोकारो जिले के कोलबेंदी मंदिर, चाईबासा स्थित केरा मंदिर और सरायकेला-खरसावां में राजागढ़ स्थित मां पाउड़ी मंदिर शामिल हैं. 16 दिनों की नवरात्रि आराधना के पीछे की मान्यता के बारे में आचार्य संतोष पांडेय बताते हैं कि भगवान राम ने लंका विजय के लिए बोधन कलश स्थापना कर 16 दिनों तक मां दुर्गा की आराधना की थी. झारखंड के कई राजघरानों में इस परंपरा को चार-पांच सौ वर्षों से जारी रखा है. संभवत: पूरे भारतवर्ष में और किसी स्थान पर 16 दिनों के नवरात्रि अनुष्ठान की परंपरा नहीं है*.

 

*इन चार मंदिरों में से लातेहार के चंदवा स्थित मां उग्रतारा नगर मंदिर की मान्यता सिद्ध शक्तिपीठ के रूप में है. यह मंदिर हजारों साल पुराना बताया जाता है. शारदीय नवरात्रि में सामान्य तौर पर 16 दिनों का नवरात्रि अनुष्ठान तो यहां होता ही है, जिस वर्ष नवरात्रि वाले महीने के साथ मलमास जुड़ा हो, उस वर्ष 45 दिनों का नवरात्रि अनुष्ठान होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर तीन वर्ष पर एक वर्ष ऐसा होता है, जिसमें 12 के बदले 13 यानी एक अतिरिक्त मास होता है. इसे ही मलमास कहा जाता है*

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