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कतरास के भंडारीडीह में इंकलाबी लाल सलाम के नारों के साथ शहीद भगत सिंह का जयंती मनाया गया

*कतरास के भंडारीडीह में इंकलाबी लाल सलाम के नारों के साथ शहीद भगत सिंह का जयंती मनाया गया*

*सरफोरशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है कि जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है: दीपनारायण भट्टाचार्य*

*क्रांति मानव जाति का एक अफरिहार्य अधिकार है: मासूम खान*

*जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है, उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचन करनी होगी: चुन्ना यादव*

*आज देश में बढते सामंतवादी विचारों को कुचलने की जरूरत है: मो. अमान*

*वे मुझे मार सकते है, लेकिन  वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते है: फिरोज रजा*

*इंकलाबी शब्दों को कहा कि देश भक्तों को अक्सर लोग पागल कहते है: निमाई मुखर्जी*

*इंकलाब ही व्यवस्था परिवर्तन का एक मात्र रास्ता है: ललन यादव*

धनबाद
*कतरास:* शहीद भगत सिंह के जयंती पर शहीद भगत सिंह स्मारक समिति, कतरास द्वारा मंगलवार को समुदायिक भवन भंडारीडीह स्थित शहीद भगत सिंह प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए श्रद्धांजलि दी और उपस्थित कॉमरेडो ने लाल सलाम के नारे के साथ सामंतवाद के खिलाफ आवाद बुलंद किये. श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए- *समिति के प्रमुख वरीय अधिवक्ता दीपनारायण भट्टाचार्य* ने कहा कि भगत सिंह का जन्म आज के ही दिन 28 सितंबर 1907 को हुआ था. वह अंग्रेजों के साथ लड़ते हुए 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश सरकार ने उन्हें फांसी पर लटका दिया था. भगत सिंह शहीद हो गये, लेकिन आज भी इंकलाब जिन्दाबाद का नारा हमारे जेहन में जिन्दा है. इसका मतलब की क्रांति जी जय हो. यह नारा व्यवस्था के खिलाफ जोश भरने का काम करता है. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में एक थे शहीद  भगत सिंह, शिव राम राजगुरू ओर सुधेव थापर पर एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स को मारने की सजा फांसी सुनायी थी. श्री भट्टाचार्य ने एक देशभक्ति शायर सुनाते हुए कहा कि दिल से निकलेगी मरकर भी वतन की उल्फत, मेरी मिट्टी से भी खुश्बू-ए-वतन आयेगी…. *सरफोरशी की तमन्ना आब हमारे दिल में है, देखना है कि जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है….*
मौके पर मौजूद *वार्ड संख्या -2 के पार्षद प्रतिनिधि मासूम खान* ने भगत सिंह के कहे शब्दों को दुहराते हुए कहा कि जनभावनाओं का कद्र के लिए एक बेहत्तर व्यवस्था संचालक की जरूरत है. क्रांति मानव जाति का एक अफरिहार्य अधिकार है. स्वतंत्रा सभी का एक कभी ना खत्म होना वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है. *वार्ड संख्या 3 के पार्षद पद के भावी प्रत्याशी चुन्ना यादव* ने भगत सिंह के कहे बातों को दुहराते हुए कहा कि जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है, उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचन करनी होगी. उसमें अविश्वास करना होगा और उसे चुनौती देनी होगी.
शहीद भगत के ओजस्वी भाषण को दुहराते हुए *काॅमरेड मो. अमान* ने कहा आज देश में बढते सामंतवादी विचारों को कुचलने की जरूरत है, तभी हम गरीबी-अमीरी की दूरी को खत्म होगा और बराबर की व्यवस्था का परिकल्पना कर सकते है।
*काॅमरेड फिरोज रजा* ने कहा कि वे मुझे मार सकते है, लेकिन  वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते है. वे मेरे शरीर को कुचल सकते है, मेरी आत्म को नहीं. *कॉमरेड निमाई मुखर्जी* ने भगत सिंह के इंकलाबी शब्दों को में कहा कि देश भक्तों को अक्सर लोग पागल कहते है, हमें पागल ही रहने दो हम, पागल ही अच्छे है. तभी क्रांतिकारी बने रहेंगे. मौके पर अधिवक्ता ललन यादन ने शहीद भगत के शब्दों को जोश पूर्वक दोहराते हुए कहा कि इंकलाब ही व्यवस्था परिवर्तन का एक मात्र रास्ता है. खुद की जीवन को पहरवाह किये बगैर आने वाली पीढ़ी का चिन्ता करें. मौके पर काॅमरेड मो. कलीम उर्फ बाबला, त्रिवेणी रवानी, कामरेड मेहबूब, कामरेड गौतम ऋऋि, प्राकश पासवान, सुचित रवानी, रवि पासवान, पिंटू गुप्ता आदि ने शहीद भगत सिंह को लाल समाम के नारे के साथ श्रद्धांजलि दी. इसके बाद सभी कामरेड नारेबाजी करते हुए छाताबाद-पचगढ़ी मार्ग के डीएवी स्थित शहीद अशफाक उल्ला खान के प्रतिमा पर पहुंचे, जहां उन्हें माल्यापर्ण कर श्रद्धांजलि दिये.

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