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कैट ने पीएम मोदी से ई-कॉमर्स के मसौदे में कोई ढील नहीं देने को सुनिश्चित करने का आग्रह किया

सुरेश सोंथालिया

“उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियम” के मसौदे के खिलाफ विदेशी फंड प्राप्त ई-कॉमर्स कंपनियों की अपेक्षित दबाव रणनीति के मद्देनजर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर उनसे आग्रह किया कि किसी भी दबाव में ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे में कोई ढील नहीं दी जानी चाहिए !कैट ने प्रधान मंत्री श्री मोदी को आश्वासन दिया कि देश का व्यापारिक समुदाय उक्त नियमों को जारी करने के लिए सरकार के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है ! यह नियम केवल उन तौर-तरीकों और मापदंडों को स्पष्ट कर रहा है जिनके माध्यम से देश के कानूनों और नियमों का पालन किया जाए! कैट ने उम्मीद जताई है कि इन नियमों पर प्राप्त सुझावों की जांच के बाद यह नियम बिना किसी और देरी के अधिसूचित किये जाएंगे ।

मसौदे के नियम सरकार की उस मंशा को पूरी तरह से दर्शाते जिन्हे केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पियूष गोयल ने गत दो वर्षों में अनेक बार विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर सख्ती से दोहराया है की छोटे या बड़े सभी को कानून का अक्षरश: पालन करना होगा । लिहाजा इनमें किसी भी प्रकार की ढील सरकार की मंशा को विफल करेंगी !

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेश सोन्थलिया ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को भेजे पत्र में कहा कि एक योजना के तहत मीडिया में कई निराधार स्टोरोइयों के द्वारा इन नियमों को कठोर करार देने की तथा भारत में एफडीआई के प्रवाह को हतोत्साहित करने वाला बताया जा रहा है ये वैश्विक बड़ी कंपनियों के डर के अलावा और कुछ नहीं हैं कि अगर उन्हें नियमों का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है तो ई-कॉमर्स और खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने की उनकी दीर्घकालिक रणनीति बुरी तरह विफल हो जाएगी और उन्हें अपने व्यापार के प्रारूप में बड़ा परिवर्तन लाना होगा जो उनके लिए नुकसानदेह होगा लेकिन निश्चित रूप यह नियन देश के छोटे व्यापारियों को ई-कॉमर्स को व्यवसाय के संभावित तरीके के रूप में अपनाने और स्वीकार करने के लिए प्रेरित करेंगे और ई कॉमर्स व्यापार भारत में नै बुलंदियों तक पहुंचेगा।इसलिए देश के बड़े हित में और “आत्मनिर्भर भारत” के प्रधानमंत्री के आह्वान को अमली जामा पहनाने के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है की ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे में किसी प्रकार की कोई ढील न दी जाए !

श्री सोन्थलिया ने आगे कहा कि विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियों की व्यापार प्रथाओं की अनैतिकता और लगातार कानून का उल्लंघन करने से देश में बड़ी संख्या में दुकानें बंद हो गई हैं। इन ई-कॉमर्स कंपनियों ने छोटे व्यापारियों के व्यवसायों को अपने बिज़नेस फॉर्मेट के साथ जोड़कर प्रोत्साहित करने के बजाय अपनी बेशुमार धन शक्ति एवं एफडीआई नीति के प्रेस नोट 2 के सभी प्रावधानों का खुला उल्लंघन करते हुए देश के ई कॉमर्स एवं रिटेल व्यापार को नियंत्रित कर उस पर अपना एकाधिकार स्थापित करने के लिए देश के छोटे व्यापारियों को उनकी आजीविका से विस्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है !

कैट ने खेद व्यक्त करते हुए कहा की ये ई-कॉमर्स कंपनियां भारत को कमजोर कानूनों और नियमों वाले देश के रूप में देखती हैं जहाँ कानूनों का पालन न करने पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती ! ऐसा प्रतीत होता है कि उनका उद्देश्य ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण बनना है जिसमें वो आर्थिक दासता के मालिक के रूप में देश के बाजार पर अपना कब्ज़ा जमा सकें ! इन कंपनियों ने देश के ई कॉमर्स बाजार को स्वस्थ प्रतिस्पर्धी बनाने के बजाय मुद्रा मूल्याङ्कन का खुला मैदान बना दिया है जो विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय करने की अनुमति देने के पीछे सरकार का उद्देश्य और इरादा कभी नहीं हो सकता है। छोटे किराना खुदरा विक्रेता इन विदेशी ई-कॉमर्स संस्थाओं की प्रतिस्पर्धा-विरोधी और किराना विरोधी नीतियों के कारण बहुत पीड़ित हैं, यहां तक कि कोरोना महामारी के दौरान भी इन कंपनियों ने भारत के खुदरा क्षेत्र को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी !.

श्री सोन्थालिया ने कहा कि भारत के व्यापारी ई-कॉमर्स के खिलाफ नहीं हैं बल्कि यह मानते हैं की ई-कॉमर्स भविष्य का सबसे जरूरी बड़ा व्यवसाय है जिसे भारत के व्यापारियों को भी अपने व्यवसाय को ई-कॉमर्स पर भी अवश्य करना चाहिए ! उन्होंने कहा की देश के व्यापारी अनैतिक व्यापार प्रथाओं और कानून के उल्लंघन के खिलाफ दृढ़ता से खड़े हैं। व्यापारिक समुदाय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारत में व्यवसायों की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी शक्ति या कम्पनी को अनैतिक व्यापार करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए ! भारत में घरेलू व्यापार 8 करोड़ से अधिक छोटे व्यवसायों द्वारा चलाया जाता है जो लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं और लगभग 115 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार करते हैं। इसके अलावा अनौपचारिक क्षेत्र में भी विभिन्न माध्यमों से लाखों करोड़ रुपये का कारोबार होता है और अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक क्षेत्र में लाने की जरूरत है जिससे जीडीपी को दोहरे अंकों में लाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।

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