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रात होते ही बासुकीनाथ बन जाता है राष्ट्रीय राजमार्ग

दुमका प्रियव्रत झा

घड़ी की सुई का कांटा जब रात के 9:00 बजने का संकेत करता है,ठीक उसी समय से बासुकिनाथ वासियों की बेचैनी बढ़ने लगती है। सैकड़ों भारी वाहनों का काफिला एक साथ चीख-पुकार करते हुए लोगों की नींद हराम करने निकल पड़ती है। रात भर बासुकीनाथ के रिहायशी इलाके से भारी वाहनों के आवागमन से सभी आयु वर्गों के लोगों की नींद बुरी तरह प्रभावित हुई है। ट्रकों से होने वाली ध्वनि प्रदूषण के कारण जन स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पहुंच रहा है। इसके अलावा आम लोगों का सड़क पर चलना दुर्घटना को आमंत्रित करने के समान है। इतना ही नहीं नंदी चौक से पानी टंकी,दर्शनिया टीकर के रास्ते नोनीहाट जाने वाली सड़कों के किनारे बसे गांव के लोगों का ट्रकों ने जीना मुहाल कर दिया है। एक और जहां ये लोग दिन भर ट्रकों से निकले धूल और धुआं का सेवन करने के लिए मजबूर है वही रात बिताना किसी मुसीबत से कम नहीं है। मामले को लेकर तीर्थ नगरी के लोगों का कहना है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन एवं नगर पंचायत के बैरियर वाले की मिलीभगत से इस खेल को अंजाम दिया जा रहा है। मालूम हो कि भुरभुरी पुल बंद हो जाने से जिला प्रशासन द्वारा ट्रकों के परिचालन के लिए एक अधिकृत मार्ग निर्धारित की गई थी। इसके अंतर्गत तमाम भारी वाहनों को महारो के रास्ते चांपा मोड होते हुए अपने गंतव्य स्थान पहुंचना तय किया गया था।

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