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ग्राम सभा में उठी काले कृषि कानून वापस करने की मांग

गांवों में मुकम्मल सुविधाएं उपलब्ध कराए राज्य सरकार

काले कृषि कानूनों की वापसी समेत स्थानीय सवालों को लेकर आज सदर प्रखंड के दुर्गा पहरी गांव में भाकपा माले की अगुवाई में ग्रामीणों की एक मीटिंग हुई जिसकी अध्यक्षता संजय मुर्मू तथा संचालन सोहन हेंब्रम ने करते हुए कहा कि सरकार ने जो कृषि क्षेत्र के तीनों कानून लाए हैं वे सब-के-सब कंपनियों के फायदे के लिए हैं, इसलिए किसान हित में तत्कालीन तीनो कानूनों वापस लिए जाएं।

ग्रामसभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य राजेश कुमार यादव ने कहा कि मोदी सरकार कारपोरेट परस्ती की सारी हदें पार कर चुकी है। सरकार को किसान-मजदूरों की कोई परवाह नहीं है। तीनो के तीनो कानून किसानों के खिलाफ हैं। इसके पहले भी इसी सरकार ने मजदूरों के श्रम अधिकारों पर भी हमले किए हैं। कुल मिलाकर इस सरकार के खिलाफ संघर्ष करना और सरकार को जनता के आगे झुकना होगा। काले कृषि कानून वापस लेने ही होंगे।

उन्होंने कहा कि दुर्गापहरी जैसे गांव में मूलभूत समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। सूबे की हेमंत सोरेन की सरकार 1 साल पूरा करने को है। चुनाव के पहले जो वादे किए गए थे वह लोगों को याद है। इसलिए बिना देर किए आम जनता की मूलभूत समस्याओं का समाधान किया जाए। उन्होंने लोगों से 16 जनवरी को सैकड़ों की तादाद में जीतपुर पहुंचकर मानव श्रृंखला में शामिल होकर अपने अधिकारों को बुलंद करने की भी मांग की। गांव में माले समर्थित एक कमेटी बनाई गई जिसके तहत संघर्ष कोष के लिए घर-घर से धान संग्रह किया गया।

मौके पर चेता किस्कू, मेरुलाल हेंब्रम, मुनीलाल हेंब्रम, छोटन हेंब्रम, शूकर हेंब्रम, बाबूराम हेंब्रम, रामेश्वर हेंब्रम, लीचू मुर्मू, धर्मेंद्र हेंब्रम, लखन हेंब्रम, सोमरा हांसदा, जीतुलाल हेंब्रम, चिंकू टुडू, अजय सिंह, कर्मा टुडू, राजेश हेंब्रम, किशुन मुर्मू, सोमरा मुर्मू, सोनामुनी सोरेन, चुड़की हेंब्रम, छोटकी मरांडी, बड़की मरांडी, मंझली हांसदा, सुनीता देवी समेत बड़ी तादाद में स्थानीय ग्रामीण महिला पुरुष मौजूद थे।

गिरिडीह से डिम्पल की रिपोर्ट

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