जमशेदपुर
एग्रिको स्थित केबुल कंपनी (इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड) के पुनरूद्धार के मामले में पिछले मंगलवार को झारखंड सरकार ने विधानसभा में महत्वपूर्ण घोषणा की। इस घोषणा के बाद जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू ने निजी संकल्प वापस ले लिया।
इससे पहले सरयू राय ने विधानसभा में एक निजी संकल्प पेश किया कि सरकार जमशेदपुर की केबुल कंपनी के पुनरुद्धार के लिए विधि-सम्मत कारवाई करे। सरकार ने लिखित उत्तर में कहा था कि नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट अथारिटी (एनसीएलटी) में केबुल कंपनी का मामला विचाराधीन है, लिहाजा वहां से कोई निर्णय होने के बाद ही कोई कार्रवाई संभव है।
विधायक सरयू राय ने कही ये बात
इस पर सरयू ने विधानसभा के सामने सारगर्भित वक्तव्य रखा।उन्होंने सभा को बताया कि 1920 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा टाटा स्टील को दी गई जमीन पर लीज लेकर इंकैब की स्थापना हुई। कंपनी 1985 तक चली। सरकार की अनुमति से नया प्रबंधन आया, जिसमें सरकार के वित्तीय संस्थानों का हिस्सा 52 फीसद से अधिक था। यह व्यवस्था 1996 तक चली। इसके बाद कंपनी को बीआइएफआर (बोर्ड फॉर इंडस्ट्रियल एंड फिनांशियल री-कंस्ट्रक्शन) ने बीमार घोषित कर दिया। इसके बाद कई प्रबंधन आए-गए। सभी की नजर कंपनी की संपत्ति पर थी। कंपनी को दिवालिया घोषित कर नीलाम करने और देनदारी चुकाने का निर्णय एनसीएलटी ने कर दिया। इसके खिलाफ कंपनी के मजदूरों ने एनक्लैट में अपील की। उनकी अपील कुछ माह पहले मंजूर हो गई है। कंपनी की 177 एकड़ जमीन जमशेदपुर और 36 एकड़ जमीन पुणे में है। इसके अलावा मुंबई, कोलकाता में चल-अंचल संपत्ति है। 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने टाटा स्टील से केबुल कंपनी चलाने के लिए कहा, लेकिन टाटा स्टील ने अभी तक प्रस्ताव नहीं दिया है। वैसे यह आदेश आज भी अस्तित्व में है।
जानिए सरकार ने क्या कहा
इसके बाद सरकार का वक्तव्य हुआ। सरकार ने घोषणा की कि वह इस मामले में विधि-सम्मत कदम उठाएगी। महाधिवक्ता से परामर्श करेगी। राजस्व विभाग, उद्योग विभाग से पहल करने के लिए कहेगी। राजस्व सचिव ने विगत 28 जुलाई 2020 को इस बारे में पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त से इस पर प्रतिवेदन मांगा है। शीघ्र ही महाधिवक्ता का परामर्श प्राप्तकर्ता विधि-सम्मत कार्रवाई आरंभ होगी।