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बांस से बने सामानो की मांग: चाकुलिया के बसों से बने सामान के दीवाने हैं कई राज्यों के लोग, प्रदेश महज कच्चे माल आपूर्तिकर्ता बना

घाटशिला:- कमलेश सिंह

चाकुलिया :चाकुलिया के बांस से बनी सामग्री देश के कई राज्यों में घरों की शोभा बढ़ा रही है पर प्रदेश के जनप्रतिनिधियों में बांस से बनी सामग्री के उद्योगों को बढ़ावा देने की दृष्टि नजर नहीं आती। नतीजतन राज कच्चा माल मुहैया कराने वाला राज्य बन गया है। इससे राज्य की समृद्धि का रास्ता नहीं खुल पा रहा है। अगर यहां इससे निर्मित सामग्री फर्नीचर आदि की बिक्री की व्यवस्था हो तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही प्रदेश की तरक्की का रास्ता भी खुल सकता है।

 कई राज्यों में चाकुलिया के पास की है मांग

पूर्वी सिंहभूम जिला के घाटशिला अनुमंडल क्षेत्र के चाकुलिया क्षेत्र बांस के लिए विख्यात है। बांस उत्पादन में जिला झारखंड राज्य में अव्वल है। बांस नगरी चाकुलिया की बांस की मांग हरियाणा राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ उड़ीसा समेत कई राज्यों में है। इन वन क्षेत्र से प्रतिमाह लगभग 150 से 2 सौ ट्रक बस की आपूर्ति देश के पूरे राज्य में होती है। बांस यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है पर विडंबना है कि यहां के जनप्रतिनिधि इसे बढ़ावा देने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। अगर यहां किसानों को थोड़ी मदद मिल जाए तो क्षेत्र की तरक्की के साथ प्रदेश की समृद्धि की राह भी खुल सकती है।

कागज करखाने का वादा नहीं निभाया

कई बार सरकारी घोषणाओं के बावजूद इन वन क्षेत्रों में कागज की फैक्ट्री स्थापित नहीं हो सकी। कागज का कारखाना खुल जाने से यहां के हजारों किसानों को लाभ मिलता। क्षेत्र में रोजगार का भी सृजन होता। केंद्र सरकार द्वारा लंबे बांस को परिवहन अनुज्ञा पत्र से मुक्त करने के कारण किसान और व्यापारियों को लाभ हुआ है।

रैयती भूमि पर कर रहे हैं बांस की खेती

इस क्षेत्र में वन भूमि पर बांस नहीं के बराबर हैं। क्षेत्र के किसानों की भूमि पर बांस की खेती करते हैं। बांस क्षेत्र की प्रमुख उपज है। किसानों की आय प्राप्त करने का प्रमुख जरिया है। क्षेत्र में मुख्य रूप से 2 तरह के बांस की खेती होती है। एक पहाड़ी बांस और दूसरा लंबा बांस। सरकार द्वारा लंबे बांस परिवहन अनुज्ञा पत्र से मुक्त करने से किसानों और व्यापारियों को काफी सहूलियत हुई है। किसान खुद भी बांस की बिक्री अन्य राज्यों में कर सकते हैं। परंतु पहाड़ी बांस के लिए परिवहन अनुज्ञा पत्र जरूरी है।

बांस से निर्मित सामग्री की बिक्री की उचित व्यवस्था नहीं

बांस के कारोबार के लिए इस वन क्षेत्र में लगभग 19 डिपो हैं। झारखंड में कागज का कारखाना नहीं होने के कारण यहां का अधिकतर बांस अन्य राज्यों में भेजा जाता है। सरकार द्वारा बांस से निर्मित होने वाली सामग्रियों को बनाने और उनकी बिक्री के लिए भी उचित व्यवस्था नहीं की गई है।

बंबू प्लांट गिन रहा है अंतिम है सांस

बहरागोड़ा के मानस मुड़िया में तत्कालीन वन मंत्री सुधीर महत्व के प्रयास से बंबू प्लांट की स्थापना हुई थी परंतु देखरेख के अभाव में वह भी अंतिम सांस ले रहा है। इस क्षेत्र में कागज का कारखाना खोलने की मांग यहां के किसान बरसों से करते आ रहे हैं। पूर्ववर्ती सरकार में बहरागोड़ा में कागज की फैक्ट्री खोलने की कई बार बात कही गई परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

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