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धर्म:-अनंत चतुर्दशी, अनंत पूजन से दूर होती है दुख और दरिद्रता

घाटशिला:- कमलेश सिंह

अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है। यह प्रसिद्ध पर्व मंगलवार (1 सितंबर, 2020) को मनाया जायेगा। उदयकाल से लेकर तीन मुहूर्त तक व्याप्त चतुर्दशी को करने का शास्त्र सम्मत विधान है। अनंत कथा सुनने, अनंत धारण करने के साथ मीठा पकवान भगवान विष्णु को अर्पित कर प्रसाद स्वरूप परिजनों सहित ग्रहण करना पूर्ण फलदायी है। इस दिन अनंत रूप में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जो अनंत नाम से जाने एवं पूजे जाते हैं। भगवान विष्णु ही संपूर्ण जगत के एकमात्र अधिपत्य स्वामी हैं।

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अनंत चतुर्दशी का संबंध महाभारतकाल से है। कथा अनुसार, कौरवों से जुआ हारने के बाद पांडव वन-वन भटक रहे थे तब श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा- हे धर्मराज! जुआ खेलने के कारण देवी लक्ष्मी आप से रुष्ट हो गयी हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए आपको अपने भाइयों के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत रखना चाहिए।

विधि अनुसार, भाद्रशुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को केसरिया धागे से चौदह गांठ लगाकर कच्चे दूध में डुबोकर ‘ऊँ अनन्ताय नम:’ मंत्र से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। श्रीकृष्ण के कहने पर सर्वप्रथम पांडवों ने अनंत का व्रत किया, जिससे खोया हुआ राज्य और लक्ष्मी को पुन: प्राप्त किया था।

अनंत पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

मां भंडार शिव मंदिर के पुजारी कन्हैया पांडेय एवं उमेश पांडेय के अनुसार, मंगलवार (1 सितंबर, 2020) को प्रात: 5:59 से 9:41 बजे तक विशेष शुभ मुहूर्त रहेगा, उसके उपरांत पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जायेगी, जो अगले दिन 9:34 मिनट तक रहेगी. शास्त्रों के अनुसार उदयातिथि में दिनभर भक्तगण भगवान अनंत की पूजा करेंगे.

अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि

अग्नि पुराण के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्‍णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है, इस दिन सबसे पहले स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करके इस व्रत का संकल्‍प लें. इसके बाद मंदिर में कलश स्‍थापना करके भगवान विष्णु की तस्वीर लगाएं. अब एक डोरी को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर इसमें 14 गांठें सगा लें. अब इसे भगवान विष्णु जी को चढ़ाकर पूजा शुरू करें.

इस दिन पूजा करते समय इस मंत्र का करें जाप

अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।

अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते

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