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आदिवासी सुरक्षा परिषद सुजाता मुर्मू और जहीर हुसैन की शादी को अधार बना रांची हाई कोर्ट में दायर करेंगे जनहित याचिका.

सरायकेला : आज आदिवासियो के लिए दुखद खबर है कि एक आदिवासी युवती सुजाता मुर्मू चेन्नई मे एक अंतरजातीय युवा के साथ समारोह पूर्वक शादी कर रही है. एक मासूम आदिवासी लड़की लव जिहाद की भेट चढ़ रही है. शादी किसी के लिए व्यक्तिगत मामला है, आदिवासी सुरक्षा परिषद को आपति नहीं है हमे आपति इस बात की है कि आरक्षण के आधार पर नौकरी मिली है वो भी चला जाएगा. जिसका उपभोग उच्च प्रतिष्ठित समुदाय के घरवाले करेंगे. और आदिवासी समाज आरक्षण का लाभ से वंचित रह जाएगा. उक्त बाते आदिवासी सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष रमेश हांसदा ने संवाददाता सम्मेलन में कही.

सरायकेला के आदित्यपुर आशियाना के समीप कालीमंदिर स्थित कार्यालय में आदिवासी नेता रमेश हांसदा ने कहा कि आदिवासी महिलाओ के अंतरजातीय विवाह से आदिवासियो के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. गैर आदिवासी केवल और केवल आदिवासी का आरक्षण का लाभ लेने के लिए किसी आदिवासी लड़की से शादी करता है. आरक्षण का लाभ आदिवासियो को जीवन स्तर उठाने के लिए भारतीय संविधान ने दिया है, यदि आरक्षित पदो पर नौकारी लेकर यदि गैर आदिवासी के साथ शादी करेंगे तो स्वाभाविक रूप से जिस प्रतिष्ठित घर में जाएंगे वहां के लोग उपभोग करेंगे. इस भौतिक वादी युग मे अन्तरजातीय विवाह मे काफी बढ़ोत्तरी हुई है, अगर एइसे ही चलते चलते रहा तो आदिवासियो को आरक्षण देने का कोई मतलब नहीं रह जाता है. गैर आदिवासी से शादी करने के बाद वो महिला अपनी परम्परा का निर्वाह नहीं कर पाएंगी तो उसे आरक्षण के दम पर नौकरी करने का अधिकार नहीं होना चाहिए. पेशा कानून के तहत देश में पंचायत चुनाव में शत प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. लेकिन पिछले पंचायत चुनाव मे सैकड़ो एइसे उदाहरण मिलेंगे जो मुखिया जीते है वे किसी गैर आदिवासी की पत्नी है. इस्‍से पेशा एक्ट का खुला उल्लंघन है, CNT और SPT एक्ट में गैर अदीवासी जमीन नहीं खरीद सकते हैं लेकिन आदिवासी लड़की के साथ शादी कर इसका भी समाधान निकाल दिया है.

आदिवासी सुरक्षा परिषद सुजाता मुर्मू और जहीर हुसैन की शादी को अधार बना कर रांची हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे. और मांग करेंगे कि अन्तरजातीय विवाह के चलते सुजाता मुर्मू अब आदिवासी नहींI रही इसलिए उसे नौकारी से बर्खास्त कर दिया जाय. आदिवासी सुरक्षा परिषद की इसे महिलाओ को किसी भी चुनाव मे योग्य प्रत्यासी न माना जाएं. केंद्र और राज्य सरकारों को कानून बनाने के आदिवासी सुरक्षा परिषद दबाव बनाएगी. इस संवाददाता सम्मेलन मे बिना नंद सिरका, गुलशन टुडू और सावना मरांडी उपस्थित थे.

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