राजपुर थाना क्षेत्र के विभिन्न गांवों में लगभग 3000 एकड़ में लगा डाले हैं पोस्ता
स्थानीय पुलिस के नाम पर लाखों रुपये की हो रही है उगाही
पोस्ता की खेती से कई सफेद पोशों का भी जुड़ा है तार
अफीम की खेती से बढ़ गई है सड़क लूट की घटना
कान्हाचट्टी :- चतरा जिला पहले उग्रवाद और उग्रवादी घटना से जाना जाता था,दूसरे जिलों और दूसरे प्रदेशों से लोग चतरा आने से घबराते थे लेकिन पुलिस प्रशासन वर्तमान में चतरा से उग्रवाद पर तो काबू जरूर पाई है लेकिन आज भी अब चतरा भले ही उग्रवाद और उग्रवादी गतिविधि में कमी आई हो लेकिन चतरा आज अब अफीम की खेती के लिए विख्यात हो गया है।पूरे जिले के लगभग आधा दर्जन प्रखंडो में लोग अफीम की पुरजोर खेती कर रहे हैं।उनमें भी राजपुर थाना क्षेत्र में ही केवल 3000 एकड़ जमीन पर खेती की गई है।वो भी तीन हजार एकड़ में कुछ रैयती जमीन है एवं शेष वन भूमि पर खेती किया गया है।यह अफीम माफियाओं का दिलेरी ही कहिए कि जिला प्रशासन के लाख मनाही के बाद भी लगभग तीन हजार एकड़ जमीन पर पोस्ता की खेती किया गया है।
इन क्षेत्रों में हुई है पोस्ता को खेती:-राजपुर थाना क्षेत्र के बेंगोकला,बेंगोखुर्द,गड़िया,अमकूदर,सिकिद, पथेल,बघमरी,पचफ़ेडी,बिरबिरा,धवाईया,रंगीनियांटांड,बनियाबन्ध,कुराग,सहातू,रमखेता,बिरलूटूदाग,डेबरा,हमरा,लुटा,डुमरिया,वशिष्टनगर थाना क्षेत्र के जोल्डिहा,कुरखेता,करामो,गुबे,सालवत,सुरहुद,बैरियोंतरी,बिहार राज्य के बाराचट्टी थाना क्षेत्र के नारे,सिसिया तरी,सालोत, चापि, तिलटांड,डांग सखुआ,पिपराही,सहित झाखण्ड बिहार के सैकड़ों गांव में पोस्ता की खेती की गई है।
पन्द्रह दिनों में दिखने लगेगा पोस्ता का सफेद फूल :- पोस्ता की खेती में पोस्ता का पौधा लगभग एक से डेढ़ फीट हो चुका है पोस्ता का पौधा का विकास इतनी जल्दी होता है कि अब पन्द्रह दिनों में पोस्ता का सफेद फूल दिखने लगेगा।पोस्ता की खेती करने वाले लोग जैसे ही पोस्ता का फूल दिखता है काफी खुश नजर आते हैं।
पोस्ता के सभी भाग बिकता है महंगा :- पोस्ता के सभी भाग महंगा बिकता है।पोस्ता का दूध,डंठल, पत्ता,टहनी एवं फल तथा दाना सभी महंगे कीमत पर बिकता है।इसी के कारण आज लोग सबसे ज्यादा अफीम की खेती करने में तुले हुए है।जिला प्रशासन कई बार पोस्ता की खेती से नुकशान भी बताए उसके बाद भी माफिया खेती करना नहीं छोड़ रहे हैं।
क्या है अफीम का दूध व डोडा :-पोस्ता का पौधा में पोस्ता की खेती करने वाले माफिया पोस्ता का दाना वैसे जगह लगाते है जहां पानी की किल्लत नहीं हो,तथा वैसे जगह खेती किया जाता है जहां पुलिस की पहुंच से बाहर हो।जहां पुलिस दिन के उजाले में भी नहीं पहुंच पाए।वहीं पर अफीम की खेती करते है।पोस्ता का पौधा जब बड़ा हो जाता है तो पौधे से फूल तैयार होता है और फूल से जो दूध चीरा लगाकर निकाला जाता है वही अफीम कहलाता है।तथा फल से डोडा तैयार होता है।तथा अफीम से फिर ब्राउन सुगर बनता है।
पुलिस के नाम पर होती है अफीम माफियाओ से मोटी तशिली:- अफीम पोस्ता की खेती करने वालो से पुलिस को मैनेज के नाम पर थाना क्षेत्र में लाखों की तशिली की जाती है।एक ब्यक्ति ने अपना नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि पुलिस के नाम पर प्रत्येक अफीम की खेती करने वालो से प्रति कट्ठा दस हजार रुपये की तशिली होती है।जिससे अफीम पोस्ता का पौधा को पुलिस नुकशान न करें।
अफीम के खेती के पीछे प्रखण्ड से बाहरी लोगों तथा सफेद पोसो से भी है तार जुड़ा:-अफीम के काले कारोबार में कुछ सफेद पोसो का भी हाथ होने का तार जुड़ा नजर आ रहा है।वहीं प्रखण्ड से बाहर जे लोगो का भी हाथ है।ऐसा लोगो के जुबान पर है।लोगो का कहना है कि यदि अफीम के खेती हो रही है तो कार्रवाई क्यों नहीं।
बबलू खान की रिपोर्ट