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सफल प्रयास: ग्रामीणों के लिए छह साल में पहाड़ काट बनायी राह, गुमला के माउंटेन मैन हैं नागेश्वर

गुमला झारखंड:-

गुमला जिला के सुग्गाकाटा गांव के रहनेवाले नागेश्वर किसान (60 वर्ष) को भी बिहार के दशरथ मांझी की तरह ही ‘माउंटेन मैन’ निकले। इनका जज्बा और जुनून ही था, जिसकी बदौलत इन्होंने अपने गांव सुग्गाकाटा में पहाड़ तोड़कर 2400 फीट लंबा और 12 फीट चौड़ा रास्ता तैयार किया. इसके लिए नागेश्वर छह साल (1975 से 1981 वर्ष) तक रोजाना पहाड़ को अकेले ही काटते थे।‌सरकार की ओर से तीन साल पहले यहां पक्की सड़क बनायी गयी है, जिससे इलाके के एक दर्जन से ज्यादा गांवों के लोग आवागमन करते हैं।‌

नागेश्वर ने ऐसे की सड़क बनानेे की शुरुआत

गुमला जिले के रायडीह प्रखंड का सुग्गाकाटा गांव घने जंगल व पहाड़ों की तराई में बसा है। नागेश्वर किसान बताते हैं कि वर्ष 1975 में वह जब 16 साल के थे, तो पिता के साथ गुमला, रायडीह, सिलम व पतराटोली गांव में होटल लगाते थे। गांव से बाहर जाने के लिए पहाड़ पर चढ़ कर जाना पड़ता था। उन्होंने पहाड़ को तोड़कर रास्ता बनाने की ठानी, ताकि किसी तरह साइकिल पार हो जाये।

उन्होंने थोड़ा-बहुत पहाड़ काटकर साइकिल पार करने लायक रास्ता बनाया। लेकिन जब गांव में कोई बीमार होता था, तो उसे अस्पताल ले जाना मुश्किल होता था। गांव में बड़ी गाड़ी के घुसने लायक सड़क नहीं थी। वर्ष 1980 में उन्होंने पहाड़ तोड़कर रास्ते को चौड़ा करने का निर्णय लिया। उसके बाद गांव के लोगों के साथ बैठक की, लेकिन किसी ने साथ नहीं दिया। उसके बाद नागेश्वर ने अकेले ही रास्ता बनाने की ठानी। वह रोज सुबह उठते और छेनी-हथौड़ी लेकर पहाड़ तोड़ने पहुंच जाते। हर दिन वह पांच घंटे सुबह और दो घंटे शाम पहाड़ तोड़ते। जून 1981 में उन्होंने पहाड़ तोड़ कर कच्ची सड़क तैयार कर दी।

होटल चलाते हैं नागेश्वर

नागेश्वर किसान फिलहाल पतराटोली में होटल चलाते हैं। उनके परिवार में पत्नी के अलावा तीन बेटियां और एक बेटा हैं।

सड़क बनकर तैयार होने पर क्या कहा नागेश्वर ने

सड़क भरकर तैयार होने के बाद नागेश्वर ने कहा कि मुझे खुशी है कि मैंने जो सड़क बनायी, उससे आज हजारों लोग सफर करते हैं। सुग्गाकाटा गांव से होकर ही लोग डेरांगडीह गांव आते-जाते हैं। सिकोई व परसा पंचायत के भी कई गांव के लोग इसी सड़क का उपयोग करते हैं।

क्या कहते रायडीह के पूर्व प्रमुख बसंत कुमार लाल

रायडीह के पूर्व प्रमुख बसंत कुमार लाल का कहना है कि वर्ष 1981 में मैं रायडीह प्रखंड का प्रमुख था। जब मैं पहली बार सुग्गाकाटा गांव गया, तो रास्ता नहीं था। गांव के बाहर ही गाड़ी खड़ी करनी पड़ी थी। उस समय नागेश्वर पहाड़ तोड़कर सड़क बना रहे थे। मैंने उनका हौसला बढ़ाया था।

क्या कहते नवागढ पंचायत के मुखिया फ्रांसिस कुजूर,

नवागढ़ पंचायत के मुखिया फ्रांसिस कुजूर का कहना है कि नागेश्वर किसान ने सुग्गाकाटा पहाड़ को तोड़कर सड़क बनायी। उन्होंने जो काम किया है, उसे वर्तमान पीढ़ी नहीं कर सकती है। आज भी गांव के लोग नागेश्वर को आदर-सम्मान देते हैं। और आगे भी देते रहेंगे।

घाटशिला कमलेश सिंह

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