बालश्रम निषेध दिवस पर किशोरी समेत पांच बालकों का रेस्क्यू,रेलवे स्टेशन व आसपास के इलाकों में चलाया गया रेस्क्यू ऑपरेशन।

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    संवाददाता:- मौसम कुमार गुप्ता, दुमका

    विश्व बालश्रम निषेध दिवस के अवसर पर सोमवार को चलाये गये रेस्क्यू आपरेशन में एक किशोरी समेत पांच बच्चों को रेस्क्यू किया गया। पांचों को चाइल्डलाइन दुमका के द्वारा बाल कल्याण समिति के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया। समिति ने आवश्यक कार्रवाई पूरा करने के बाद इनमें से दो बालकों को उनके परिजनों को सौंप दिया जबकि किशोरी एवं दो बालकों को बालगृह में आवासित कर दिया गया है। सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य डॉ राज कुमार उपाध्याय, डीसीपीओ प्रकाश चंद्र, श्रम अधीक्षक मो अकीक, ग्राम ज्योति की निदेशक आभा, चाइल्डलाइन दुमका के केन्द्र समन्वयक मुकेश कुमार दुबे, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउनडेशन के निदेशक समन्वयक नरेन्द्र शर्मा, नगर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अरविन्द कुमार,, महिला थाना प्रभारी श्वेता कुमारी, ग्राम साथी के मैनेजिंग ट्रस्टी देवानंद कुमार, डिप्टी चीफ एलएडीसी सिकंदर मंडल, सहायक एलएडीसी अंकित सिंह, दुमका रेलवे स्टेशन के एसएम टीपी यादव, आहतु थाना प्रभारी बैद्यनाथ बेसरा, आरपीएफ सब इंस्पेक्टर मनोज कुमार, रेलवे के एसएसई सुरेश कुमार, केएससीएफ की प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्राबोनी मुखर्जी, कोर्डिनेटर सुषमा सरकार, कम्युनिटी मोबलाइजर सनातन मुर्मू, चाइल्डलाइन के काउनसेलर जीशान अली, टीम मेंबर निशा कुमारी व शांतिलता हेम्ब्रम की टीम ने दुमका रेलवे स्टेशन पर जांच अभियान चलाया पर वहां कोई भी बाल श्रमिक नहीं पाया गया। चाइल्डलाइन दुमका को मिले सूचना के आधार पर सोनुआडगाल के संथाली टोला के एक घर से 14 वर्षीय किशोरी को रेस्क्यू किया गया। इसके बाद दुमका पाकुड़ मार्ग पर कन्वेंशन सेंटर के पास स्थित भादो होटल में 12 व 13 साल के दो बालक प्लेट धोते पाये गये जिनका रेस्क्यू किया गया। यहीं पर 14 वर्ष से कम आयु के दो बालक ईंट ढोते पाये गये, उन दोनों का भी रेस्क्यू किया गया।
    चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय, कुमारी बिजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने किशोरी एवं चारों बालकों का बयान दर्ज किया। अपने बयान में कड़हलबिल इलाके में रहनेवाले बालक के पिता ने बताया कि उसका उसके बीमार होने पर उसकी जगह उसका बेटा पिछले 10 दिनों से होटल में काम कर रहा था। दूसरे बालक ने बताया कि उससे होटल में रात 10 बजे तक काम करवाया जाता था और दिन के बाद सीधे रात के 10 बजे खाना दिया जाता था। ईट ढोने का काम करनेवाले दोनों बालकों ने बताया कि वे सुबह 9 बजे से शाम 4.30 बजे तक काम करते थे और इसके एवज में उन्हें 400 रुपये के दर से मजदूरी मिलती थी।