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कैसे अन्नदाता उपद्रवी प्रदाता बन गया – कैट ने उठाया सवाल

rajdhani news

देश भर के प्रमुख व्यापारी नेताओं ने कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) द्वारा आज आयोजित एक वीडियो कॉन्फ़्रेन्स में एक स्वर से गणतंत्र दिवस के मौक़े पर 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों द्वारा आंदोलन के नाम पर किए विभत्स उपद्रव पर किसान नेताओं की कड़ी आलोचना करते हुए कहा की यह कैसे हो गया की *अन्नदाता उपद्रवी प्रदाता* बन गया । इस घटना ने सारे देश के किसानों को कलंकित किया है जिससे देश का सर शर्म से झुक गया है । इस विडियो कॉन्फ़्रेन्स में देश के 28 राज्यों के 200 से अधिक व्यापारी नेताओं ने भाग लेते हुए कहा की व्यापारी और किसान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और किसान के हर सुख दुःख में व्यापारी उनके साझीदार रहे हैं , इस कारण से दिल्ली में हुए हिंसा के इस तांडव से व्यापारी बेहद आहत और चिंतित है । व्यापारी नेताओं ने केंद्र सरकार से माँग की है की देश के सम्मान का खुला अपमान करने पर सभी दोषी व्यक्तियों के ख़िलाफ़ कठोर से कठोर कारवाई की जाए ।

जमशेदपुर से कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थलिया ने कहा की देश के स्वाभिमान के प्रतीक लालक़िले पर गणतंत्र का चीर हरण होना और भारत के गौरव तिरंगे की मान मर्यादा को अपनी ज़िद के पैरों तलें रौंदना किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है । किसी क़ी कोई भी माँग देश से बड़ी नहीं हो सकती है लेकिन इन सारी बातों को दर किनार कर जिस तरह से किसान नेताओं ने अपनी कथित शक्ति का प्रदर्शन करने की कोशिश क़ी है उसने भविष्य में जायज़ माँगों के लिए होने वाले अनुशासित आंदोलनों पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर भी एक प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है ।

श्री सोन्थलिया ने यह भी कहा की इन सब घटनाओं क़ी ज़िम्मेदारी से किसान नेता बच नहीं सकते । उनका यह तर्क की पुलिस ने गोली क्यों नहीं चलाई अथवा सरकार की ढिलाई के कारण यह सब हुआ , देश के लोगों के गले नहीं उतरेगा । आंदोलन उनका था और आंदोलन शांतिपूर्ण हो , यह उनकी ज़िम्मेदारी थी । कैट ने तमाम विपक्षी दलों को इस मुद्दे पर सरकार को कोसने की राजनीति करने के लिए जम कर लताड़ा और कहा क़ी किसी भी दल को ऐसी छिछोरी राजनीति नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह मुद्दा देश के सम्मान और स्वाभिमान से जुड़ा है , अच्छा होता यदि ये सभी दल पहले दोषियों की पहचान कर कड़ी सजा देने क़ी माँग करते लेकिन ये सभी दल राजनीति के नशे में अपनी बुनियादी मानसिकता भी खो चुके हैं ।

कॉन्फ़्रेन्स में शामिल व्यापारी नेताओं ने इस विषय पर केंद्र सरकार के रूख और दिल्ली पुलिस के अभूतपूर्व संयम क़ी सराहना करते हुए कहा की विपरीत परिस्थितियों में नंगी तलवारों, लाठी और व्यक्तिगत प्रहार तथा शस्त्रों के होने के बावजूद पुलिसकर्मीयों ने चोट खाना बेहतर समझा और एक बार भी किसी हथियार का प्रयोग न करने किसान नेताओं की साज़िश को नाकाम कर दिया । न केवल दिल्ली के बल्कि समस्त देश के नागरिकों को दिल्ली पुलिस पर गर्व और अभिमान है ।

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